'जमानत के बाद सोशल मीडिया पर जश्न मनाना अपराध नहीं...', हाईकोर्ट ने आरोपी को दी राहत
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में कहा कि जमानत मिलने पर सोशल मीडिया पर खुशी मनाना अपराध नहीं है। जब तक अभियुक्त या उसके साथियों द्वारा किसी को धमकी नहीं दी जाती तब तक जमानत रद नहीं की जा सकती। अदालत ने घर में जबरन घुसने के एक आरोपी की जमानत रद करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि जमानत के बाद सोशल मीडिया पर जश्न मनाना कोई अपराध नहीं है, जब तक कोई धमकी नहीं दी जाए तब तक आरोपी की जमानत रद नहीं की जा सकती है।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि शिकायतकर्ता को बिना धमकी दिए किसी अभियुक्त या उसके सहयोगियों द्वारा सोशल मीडिया पर जमानत का जश्न मनाना, उसकी जमानत कैंसिल करने का कोई आधार नहीं है। कोर्ट ने घर में जबरन घुसने के एक मामले में अभियुक्त की जमानत रद करने से इनकार कर दिया।
अदालत ने आगे जोर देकर कहा कि चूकि जमानत मिलने के बाद धमकियों के बारे में कोई पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई थी, इसलिए आरोप निराधार हैं। जमानत रद करने का कोई ठोस आधार न पाते हुए, कोर्ट ने शिकायकर्ता की याचिका खारिज कर दी।
बता दें कि शिकायतकर्ता जफीर आलम ने आरोपी मनीष को दी गई जमानत रद करने की मांग की थी। आरोपी को जमानत देते वक्त, ट्रायल कोर्ट ने उस पर शर्तें लगाई थीं, जिसमें यह भी शामिल था कि वह अभियोजन पक्ष के गवाहों को किसी भी तरह से धमकी नहीं देगा या सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा और भविष्य में किसी अन्य आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा।
(समाचार एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)
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