' गर्भावस्था जारी रखने के लिए मजबूर करना पीड़ा बढ़ाना होगा ' , दिल्ली हाई कोर्ट ने दी गर्भपात की अनुमति
दिल्ली हाई कोर्ट ने लिव-इन में गर्भवती हुई युवती को 22 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी क्योंकि उसे शादी का झूठा वादा किया गया था। पहले भी आरोपित ने उसे गर्भपात के लिए मजबूर किया था। कोर्ट ने कहा कि गर्भावस्था जारी रखने से पीड़िता की पीड़ा और बढ़ेगी। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद एम्स में गर्भपात की अनुमति दी गई।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के दौरान गर्भवती हुई युवती के 22 सप्ताह के गर्भ को गिराने की दिल्ली हाई कोर्ट ने अनुमति दे दी है। युवती का आरोप है कि शादी का झूठा वादा करके आरोपी ने उसके साथ यौन संबंध बनाए थे।
न्यायमूर्ति रविंद्र डुडेजा की पीठ ने कहा कि गर्भावस्था जारी रखने के लिए मजबूर किया जाता है तो पीड़िता की पीड़ा को और बढ़ाना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि इससे सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ेगा।
याचिका में महिला ने आरोप लगाया कि शादी के आश्वासन पर लगभग दो वर्षों तक उस पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रही थी। महिला ने आरोप लगाया कि नवंबर-दिसंबर-2024 में वह पहली बार गर्भवती हुई थी और आरोपित ने दवाओं के माध्यम से गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया था।
हालांकि, जून में वह फिर से गर्भवती हो गई। युवती का कहना था कि जब उसने दोबारा गर्भपात कराने से इनकार कर दिया, तो आरोपित ने उसके साथ मारपीट की और फिर उसे छोड़ दिया। इसके बाद उसने आरोपित के खिलाफ प्राथमिकी कराई।
युवती की याचिका पर अदालत द्वारा गठित किए गए मेडिकल बोर्ड ने रिपोर्ट दाखिल कर कहा कि युवती चिकित्सकीय रूप से गर्भपात के लिए पूरी तरह स्वस्थ है और इस प्रक्रिया से गुजरने में कोई जोखिम नहीं है।
मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को एम्स अस्पताल में गर्भपात कराने की अनुमति दे दी।
साथ ही पुलिस को निर्देश दिया कि भ्रूण के ऊतक और अन्य प्रासंगिक नमूने एकत्र किए जाएं। साथ ही मामले की जांच के लिए फोरेंसिक लैब में डीएनए परीक्षण के लिए संरक्षित किए जाएं।
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