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    MCD की मुश्किलें बढ़ीं, फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के जरिए बीमा क्लेम मामले में HC ने मांगा जवाब

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमसीडी और अन्य निगमों की मिलीभगत से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर बीमा क्लेम हासिल करने के मामले में निष्पक्ष जांच की मांग पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार एमसीडी और पुलिस आयुक्त को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने लापरवाही और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है और मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है।

    By Vineet Tripathi Edited By: Rajesh KumarUpdated: Mon, 19 May 2025 06:34 PM (IST)
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    दिल्ली HC ने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र से बीमा क्लेम मामले में मांगा जवाब। फाइल फोटो

    विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और अन्य राज्य निगमों की मिलीभगत से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर बीमा क्लेम हासिल करने के मामले की निष्पक्ष जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है।

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    मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली सरकार, एमसीडी और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

    कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली सरकार और एमडी याचिका के पैराग्राफवार बयानों का हलफनामे में जवाब दें। साथ ही बताएं कि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कोई वैधानिक तंत्र उपलब्ध है या नहीं।

    सुनवाई 24 सितंबर तक स्थगित

    कोर्ट ने मामले की सुनवाई 24 सितंबर तक स्थगित करते हुए सभी प्रतिवादियों को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को प्रतिवादियों के जवाब का दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का भी आदेश दिया।

    नोएडा सेक्टर-2 निवासी याचिकाकर्ता और अधिवक्ता प्रवीण पाठक ने याचिका में कहा कि 18 जनवरी 2025 को संभल जिले के थाना राजपुरा में एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर बीमा क्लेम हासिल किया है।

    इसके बाद 27 फरवरी को एक अन्य एफआईआर में आरोपियों ने मुकेश नामक व्यक्ति के मृत्यु प्रमाण पत्र के नाम पर बीमा क्लेम हासिल किया। याचिका में दिल्ली सरकार और एमसीडी कमिश्नर पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में लापरवाही, प्रक्रियागत खामियों और व्यवस्थागत विफलताओं का आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया है कि इससे बड़े पैमाने पर बीमा दावों में फर्जीवाड़ा हुआ है।

    याचिका में उदाहरण देते हुए कहा गया है कि सूरज नाम के एक व्यक्ति की मौत नवंबर 2022 में हुई, लेकिन उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जनवरी 2023 में जारी किया गया। इस बीच, उसके नाम पर 27 लाख रुपये की दो बीमा पॉलिसियां ​​धोखाधड़ी से सुरक्षित कर ली गईं और जल्दी से दावा कर लिया गया।

    सात राज्यों में फैला हुआ है गिरोह

    याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस की अब तक की जांच के अनुसार, यह गिरोह एमसीडी समेत सात राज्यों में फैला हुआ है। इसके अलावा, यह जीवन बीमा पॉलिसियों और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के तहत दावों की धोखाधड़ी में भी शामिल है।

    मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता ने तय समय सीमा के भीतर निष्पक्ष जांच करने का आदेश देने की मांग की है। याचिका में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में सख्त दिशा-निर्देश और सत्यापन तंत्र लागू करने का आदेश देने की मांग की गई है।

    याचिका में यह भी मांग की गई है कि पिछले तीन सालों में जारी किए गए सभी मृत्यु प्रमाण पत्रों का ऑडिट करने का आदेश दिया जाए। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि फर्जी एमसीडी मृत्यु प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर बीमा धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू करने का आदेश दिया जाए।

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