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    Waqf Amendment Bill: पक्ष में आए मुस्लिम बुद्धिजीवी, निर्णय लेने से पहले सुप्रीम कोर्ट से उनका भी पक्ष सुनने की मांग

    Updated: Mon, 19 May 2025 06:17 PM (IST)

    वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने समर्थन जताया है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के रखरखाव में सुधार लाएगा और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। साथ ही वक्फ प्रबंधन से जवाबदेही बढ़ेगी। सुप्रीम कोर्ट से मामले पर निर्णय लेने से पहले उनका पक्ष सुनने की मांग की है।

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    भारत फर्स्ट के बैनर तले प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में की गई प्रेसवार्ता।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच कानून के समर्थन में मुस्लिम समाज के कई बुद्धिजीवी भी खुलकर सामने आए हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर निर्णय लेने से पहले उनके पक्ष भी सुनने की मांग की है।

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    इस संबंध में भारत फर्स्ट के बैनर तले प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेसवार्ता में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हस्तक्षेप याचिका के बारे में जानकारी दी और कानून के पक्ष में तथ्य पेश किए।

    प्रेसवार्ता में भारत फर्स्ट के राष्ट्रीय संयोजक अधिवक्ता शिराज कुरैशी व राष्ट्रीय सलाहकार डाॅ. इमरान चौधरी के साथ ही अधिवक्ता, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी व शिक्षाविद समेत अन्य रहे।

    वक्ताओं ने कहा, अधिनियम में पारदर्शिता को दी है प्राथमिकता

    वक्ताओं ने कहा कि वक्फ संपत्तियां लंबे समय से अव्यवस्था, अनियमितता और मुकदमों से जूझ रही हैं। अधिनियम में उन चुनौतियों का व्यवस्थित समाधान देते हुए जनहित, पारदर्शिता व जवाबदेही को प्राथमिकता दी गई है।

    बड़ी बात कि विरोध करने वालों से कहीं अधिक लोग संशोधन कानून को समर्थन करने वाला मुस्लिम समाज में हैं। शिराज कुरैशी समेत अन्य ने संशोधन के फायदों का सिलसिलेवार ब्यौरा रखा।

    आम नागरिक भी कर सकेंगे संपत्तियों का सत्यापन

    उन्होंने बताया कि डिजिटलीकरण के तहत सभी राज्यों को 18 महीने के भीतर सभी वक्फ अचल-संपत्तियों का भू-अभिलेख, मानचित्र और इमारती विवरण जीआईएस, सक्षम पोर्टल पर अपलोड करने को बाध्य करता है।

    इससे बेनामी अथवा दोहरी प्रविष्टियों पर रोक लगेगी और आम नागरिक भी संपत्ति का सत्यापन कर सकेंगे।

    इसी तरह, 100 करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक आय वाली वक्फ के वित्तीय विवरण अब कैग द्वारा ऑडिट होंगे। छोटे वक्फों के लिए भी अनिवार्य डिजिटल बहीखाता प्रारूप निर्धारित किया गया है।

    अधिनियिम में बहु धार्मिक प्रतिनिधित्व को भी दिया बढ़ावा

    इसी तरह, अधिनियिम में बहु धार्मिक प्रतिनिधित्व को भी बढ़ावा दिया गया है। प्रत्येक वक्फ बोर्ड में एक गैर मुस्लिम कानूनी विशेषज्ञ व एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता को नामित करना अनिवार्य है, ताकि हितधारक-वर्गों और लैंगिक दृष्टि से संतुलित निगरानी सुनिश्चित हो।

    इसी तरह, सीईओ के चयन मानदंड कठोर किए गए हैं। नए अधिनियम में अपील सीधे उच्च न्यायालय में जाएगी, जिससे वर्षों तक लंबित मुकदमे निपटेंगे।

    जबकि, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला-स्वरोजगार आदि पर न्यूनतम 50 प्रतिशत शुद्ध आय व्यय करना अनिवार्य करने समेत कई अन्य क्रांतिकारी प्रविधान है। वक्ताओं ने बताया कि मुस्लिम समाज की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 12 हस्तक्षेप याचिका सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई है।

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