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    सुनीता केजरीवाल की चुनौती याचिका पर दिल्ली HC ने भाजपा नेता से मांगा जवाब, जानें पूरा मामला

    Updated: Wed, 13 Nov 2024 06:58 PM (IST)

    Delhi News दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा नेता हरीश खुराना को AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल की चुनौती वाली याचिका पर भाजप ...और पढ़ें

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    हाई कोर्ट ने सुनीता केजरीवाल की चुनौती याचिका पर हरीश खुराना से मांगा जवाब। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट भाजपा नेता हरीश खुराना को आप नेता अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal) की एक याचिका पर भाजपा नेता हरीश खुराना से जवाब मांगा है।

    सुनीता ने याचिका में दो विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में नाम दर्ज कराकर कानून का उल्लंघन करने के लिए उन्हें जारी समन को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कहा कि शिकायतकर्ता, जिनकी शिकायत पर सुनीता केजरीवाल को समन भेजा गया था।

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    पिछले कई मौकों पर हाईकोर्ट के सामने नहीं हुए पेश

    नोटिस तामील होने के बावजूद पिछले कई मौकों पर हाईकोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुए हैं। अदालत ने कहा कि यदि वह नोटिस भेजे जाने के बाद अगली सुनवाई की तारीख पर उपस्थित होने में विफल रहते हैं, तो मामला आगे बढ़ेगा।

    अदालत 10 दिसंबर को करेगी अगली सुनवाई

    अदालत ने मामले को आगे की कार्यवाही के लिए 10 दिसंबर को सूचीबद्ध किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अंतरिम आदेश, जिसके तहत उसने सुनीता केजरीवाल को तलब करने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाई थी, जारी रहेगा।

    भाजपा नेता (Delhi BJP) ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी ने जनप्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम के प्रविधानों का उल्लंघन किया है। खुराना ने दावा किया है कि सुनीता केजरीवाल साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र (संसदीय क्षेत्र गाजियाबाद), उत्तर प्रदेश और दिल्ली के चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत थीं।

     अधिनियम की धारा 31 के तहत कार्रवाई की हुई थी मांग

    जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन है। उन्होंने दावा किया है कि सुनीता केजरीवाल को अधिनियम की धारा 31 के तहत अपराधों के लिए दंडित किया जाना चाहिए, जो झूठी घोषणाएं करने से संबंधित है। सुनवाई के दौरान सुनीता केजरीवाल की ओर से पेश अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि ट्रायल कोर्ट का आदेश उचित विचार के बिना पारित किया गया था।

    अधिवक्ता ने दलील दी कि जब सुनीता केजरीवाल ने अपना निवास स्थान बदला, तो उन्होंने अधिकारियों को एक घोषणा दी थी और उनका नाम पिछली मतदाता सूची से हटाना अधिकारियों का काम था और इसके लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई सुबूत नहीं है जो यह दर्शाता हो कि उनके मुवक्किल ने कोई गलत बयान दिया था।

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