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    Batla House Encounter: आतंकी आरिज खान को नहीं होगी फांसी, दिल्ली HC ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला

    By Jagran NewsEdited By: Abhi Malviya
    Updated: Thu, 12 Oct 2023 02:44 PM (IST)

    Batla House Encounter Case बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या के आरोपी आरिज खान को फांसी नहीं होगी। निचली अदालत ने मार्च 2021 में फांसी की सज़ा सुनाई थी जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रक़ैद में बदल दिया है। बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी करार दिए गए आतंकी को दी गई मौत की सजा की पुष्टि पर दिल्ली HC ने अपना निर्णय सुनाया।

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    निचली अदालत के फांसी की सज़ा के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रक़ैद में बदल दिया है। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Batla House Encounter Case: बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या के आरोपी आरिज खान को फांसी नहीं होगी। निचली अदालत ने मार्च 2021 में फांसी की सज़ा सुनाई थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रक़ैद में बदल दिया है।

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    बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी करार दिए गए आतंकी आरिज खान को दी गई मौत की सजा की पुष्टि पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है।

    दोषी करार देने का निर्णय बरकरार

    अदालत ने निचली अदालत द्वारा दोषी करार देने के निर्णय को बरकरार रखा है। साकेत कोर्ट ने आठ मार्च 2021 को आरिज खान (Terrorist Ariz khan) को दोषी ठहराया था और 15 मार्च 2021 को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इसके बाद हाई कोर्ट को मौत की सजा की पुष्टि के लिए निचली अदालत से एक संदर्भ प्राप्त हुआ था।

    जानें केस में कब क्या हुआ

    दिल्ली में सिलसिलेवार बम विस्फोट के कुछ दिन बाद दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की स्पेशल सेल की बाटला हाउस में आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी और इसमें इंस्पेक्टर शर्मा 19 सितंबर 2008 को बलिदान हुए थे। 18 अगस्त को दिल्ली पुलिस व दोषी की तरफ से दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। 

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    आतंकी आरिज के अधिवक्ता ने दिया था ये तर्क

    आरिज के अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह कहे कि उनके मुवक्किल आरिज खान को सुधारा नहीं जा सकता। यह भी तर्क दिया था कि अगर सुधार की काेई संभावना नहीं है तो आजीवन कारावास की सजा का नियम है।

    विशेष लोक अभियोजक राजेश महाजन ने कहा था कि एक वर्दीधारी पुलिस अधिकारी की हत्या दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है, जाे कि मौत की सजा को उचित ठहराती है। उन्होंने अदालत के समक्ष खान की सामाजिक जांच रिपोर्ट और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि जेल में उसका आचरण असंतोषजनक है। 

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