बेटे की तलाश में नजीब की मां ने खटखटाया दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा
JNU से लापता छात्र नजीब अहमद की मां ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। मामले में दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस ने बेटे की तलाश की गुहार लगाते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बायोटेक्नोलॉजी का छात्र नजीब गत 15 अक्टूबर से लापता है।
याची ने अदालत से मांग की है कि वह दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस को उनके बेटे को सही सलामत कोर्ट में पेश करने का आदेश जारी करे। न्यायमूर्ति जीएस. सिस्तानी व न्यायमूर्ति विनोद गोयल की खंडपीठ ने मामले में दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
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अदालत ने छात्र के एक माह से अधिक समय से लापता होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार और पुलिस इस मामले में अपना रूख स्पष्ट करे। पुलिस अब तक नजीब को तलाशने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी 3 दिन के भीतर अदालत में पेश करे।
Delhi HC notifies Delhi govt & police on plea of JNU student Najeeb Ahmed's mother seeking direction to police to produce him before court
— ANI (@ANI_news) November 25, 2016
मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बदायूं जिला निवासी नजीब की मां ने बंदी प्रत्यक्षी करण याचिका लगाई है। याचिका में नजीब को तलाशने की गुहार लगाई गई है। याची की तरफ से पेश अधिवक्ता ए.क्यू. जैदी ने मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) में ईमानदार व निष्पक्ष अफसरों की तैनाती की मांग की।
याचिका में बताया गया है कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के निर्देश पर दिल्ली पुलिस ने नजीब का पता लगाने के लिए एक विशेष दल बनाया था। फिलहाल इस मामले की जांच अपराध शाखा कर रही है। जांच दल नेपाल व बिहार में छानबीन कर वापस लौट आया, लेकिन नजीब का पता नहीं लगा।
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याचिका में कहा गया है कि 15 अक्टूबर को जेएनयू कैंपस में एबीवीपी के एक सदस्य के साथ नजीब की कहासुनी हो गई थी, तबसे वह लापता है। एबीवीपी के सदस्यों ने नजीब के साथ मारपीट की है। मारपीट में शामिल एबीवीपी के सदस्यों पर मुकदमा चलाया जाए। याची का आरोप है कि छात्र संगठन एबीवीपी भाजपा से जुड़ा हुआ है। केंद्र में भाजपा की सरकार है और दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन आती है। ऐसे में उन्हें नहीं लगता कि मामले की जांच आगे बढ़ेगी।
क्या है बंदी प्रत्यक्षी करण याचिका
बंदी प्रत्यक्षी करण याचिका (हैबिअस कॉर्प्स) यानी जो व्यक्ति किसी की कैद में है उसे सकुशल मुक्त कराकर अदालत के समक्ष पेश किया जाए।
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