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    दिल्ली HC ने यौन उत्पीड़न मामले में ट्रायल कोर्ट का आदेश पलटा, तीन पुलिसकर्मियों को भेजा जेल; ये है मामला

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 09:50 AM (IST)

    दिल्ली हाईकोर्ट ने 2013 में एक महिला और उसकी नाबालिग भतीजी के यौन उत्पीड़न के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को जेल की सजा सुनाई। अदालत ने दोषी जयदेव के आचरण को निंदनीय बताया जो अक्सर शिकायतकर्ता को देखकर सड़क पर कपड़े उतार देता था। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए आरोपितों को आइपीसी और पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और सजा सुनाई।

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    दिल्ली: यौन उत्पीड़न मामले में पुलिसकर्मियों को हाई कोर्ट ने सुनाई सजा। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 2013 में पड़ोस में रहने वाली एक महिला और उसकी नाबालिग भतीजी का यौन उत्पीड़न करने व उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने के मामले में तीन पुलिसकर्मियों जयदेव, उसके भाई जगमाल और बेटे सूरजभान को दिल्ली हाई कोर्ट ने जेल की सजा सुनाई।

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    न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि दोषी जयदेव का आचरण खराब था और वह अक्सर सड़क पर खड़ा होकर शिकायतकर्ता और उसकी भतीजी को देखकर कपड़े उतार देता था।

    दिल्ली पुलिस में कार्यरत दोषी के इस कृत्य को न तो माफ किया जा सकता है और न ही अनदेखा किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि तीनों दोषी एक ही परिवार के हैं और घटना वाले दिन तीनों ने मिलकर दुर्व्यवहार किया।

    पीठ ने कहा कि जिन पुलिसकर्मियों पर समाज में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है, वही इस मामले में दोषी हैं। इतना ही नहीं वे शिकायतकर्ता और पीड़ित बच्ची के पड़ोसी थे।

    दोषी जयदेव, उसके भाई जगमाल और बेटे सूरजभान को पहले ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने पाया कि वे 2013 में पीड़ितों के साथ यौन उत्पीड़न और सार्वजनिक रूप से अश्लीलता में लिप्त थे।

    ट्रायल कोर्ट के निर्णय को रद करते हुए अदालत ने आरोपितों को आइपीसी और पाक्सो अधिनियम के प्रविधानों के तहत दोषी ठहराया था।अदालत ने दोषियों को सजा सुनाते हुए जयदेव को दो साल और जबकि बाकी दो को एक-एक साल कारावास की सजा सुनाई।

    शिकायतकर्ता की तरफ से पेश हुए उनके पति ने तर्क दिया कि वर्ष 2016 में वह पदोन्नति का हकदार थे, लेकिन आरोपितों द्वारा उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के कारण इसे रोक दिया गया है।

    इसके कारण उनका व परिवार के सदस्यों का जीवन पूरी तरह से बर्बाद हो गया और उन्हें हुए नुकसान की भरपाई कोई मुआवजा नहीं कर सकता। शिकायतकर्ता का भाई व नाबालिग का पिता भी दिल्ली पुलिस में था, लेकिन उसे भी इस मुकदमे के कारण नुकसान उठाना पड़ा है।