'पार्क के इस्तेमाल को लेकर शाही ईदगाह के खिलाफ कार्रवाई न करें DDA', दिल्ली हाई कोर्ट का आया आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने डीडीए को सदर बाजार स्थित शाही ईदगाह के खिलाफ कार्रवाई न करने का आदेश दिया क्योंकि पिछले साल ईदगाह के पास के पार्क का इस्तेमाल धार्मिक आयोजन के लिए किया गया था। अदालत ने शाही ईदगाह प्रबंध समिति की याचिका पर डीडीए से जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को तय की।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से कहा कि वह सदर बाजार इलाके में शाही ईदगाह के खिलाफ कार्रवाई न करे, क्योंकि बीते वर्ष प्राधिकरण के स्वामित्व वाले पार्क का इस्तेमाल धार्मिक आयोजन के लिए किया गया था।
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने शाही ईदगाह प्रबंध समिति द्वारा दायर याचिका पर डीडीए को नोटिस जारी किया और प्राधिकरण से जवाब मांगा।
अदालत ने मामले को 10 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। अदालत ने कहा कि वक्फ न्यायाधिकरण गैर-कार्यात्मक है, जहां याचिकाकर्ता ने मुकदमा दायर किया है, इसलिए डीडीए 11 फरवरी, 2025 के अपने नोटिस के अनुसार कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
पार्क का उपयोग करने के लिए 12 लाख रुपये की मांग
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी कि डीडीए के 11 फरवरी के नोटिस में दिसंबर, 2024 में धार्मिक आयोजन इज्तेमा के लिए ईदगाह के आसपास के पार्क का उपयोग करने के लिए 12 लाख रुपये की मांग की गई थी। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पार्क ईदगाह परिसर का हिस्सा था और डीडीए का इस पर कोई दावा नहीं था और इस पर प्राधिकरण के दावे के खिलाफ वक्फ न्यायाधिकरण के समक्ष एक मुकदमा दायर किया गया था।
याचिकाकर्ता ने महारानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा स्थापित करने की मांग
डीडीए के अधिवक्ता ने दलील दी कि हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए पार्क को डीडीए की संपत्ति बताया था। याचिकाकर्ता ने वहां महारानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की थी। अधिवक्ता ने दलील दी थी कि एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने खंडपीठ के समक्ष अपील की थी, जिसने हस्तक्षेप नहीं किया। डीडीए ने दावा किया कि बिना पूर्व अनुमति के उसके पार्क में धार्मिक समारोह आयोजित किया गया।
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