दिल्ली सरकार का कूड़ा निस्तारण पर सख्त पहरा, डैशबोर्ड से होगी निगरानी! लापरवाही पर जुर्माने का होगा प्रावधान
दिल्ली सरकार अब डैशबोर्ड के माध्यम से कूड़ा निस्तारण की निगरानी करेगी। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने गाजीपुर लैंडफिल साइट का दौरा किया और काम की गति बढ़ाने के निर्देश दिए। निगम के डैशबोर्ड को पर्यावरण विभाग से जोड़ा जाएगा ताकि कचरे की मात्रा और निस्तारण की प्रक्रिया पर नजर रखी जा सके। सरकार का लक्ष्य 2027 तक प्रतिदिन 14 हजार मीट्रिक टन कूड़ा प्रोसेस किया जा सके।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। कूड़ा निस्तारण की हकीकत जानने के लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा बृहस्पतिवार सुबह गाजीपुर लैंडफिल साइट पहुंचे। निरीक्षण के बाद सिरसा ने कहा कि जिस गति से यहां काम चल रहा है, उससे लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। गति को दोगुना करना होगा। उसके लिए निगम को यहां पर एक और एजेंसी नियुक्त करने का निर्देश दिया है। 100 दिन के भीतर यह नियुक्ति की जाएगी।
उन्होंने कहा कि कूड़े के पहाड़ दिल्ली के लिए खतरा बने हुए हैं। निगम के डैशबोर्ड को पर्यावरण विभाग से जोड़कर दिल्ली सरकार सभी लैंडफिल साइटों की निगरानी करेगा। देखा जाएगा कि प्रतिदिन कितना कचरा आ रहा है और कितना निस्तारित हो रहा है। सुनिश्चित किया जाएगा कि काम तय समय सीमा में हो। जो एजेंसी काम नहीं करेगी, उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।
अगले 5 वर्षों में नहीं दिखेंगे कूड़े के पहाड़
उन्होंने वादा करते हुए कहा कि जिस तरह से धरती पर डायनासोर नहीं दिखते, वैसे ही आने वाले चार-पांच वर्षों में कूड़े के पहाड़ नहीं दिखेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के और सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है।
सिरसा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को प्रदूषण मुक्त बनाना दिल्ली सरकार का पहला काम है। इस दिशा में लक्ष्य तय करके काम चल रहा है। दिल्ली में हर दिन करीब 11 हजार मीट्रिक टन कूड़ा सभी लैंडफिल पर पहुंचता है, उसमें से फिलहाल सात हजार मीट्रिक टन ही प्रोसेस हो पा रहा है। सरकार की योजना है कि वर्ष 2027 तक 14 हजार मीट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन प्रोसेस करने की क्षमता तैयार की जाए। इसमें निगम और उसके लिए काम कर रहे ठेकेदारों को स्पष्ट कहा दिया गया है कि वह काम में कोताही न बरतें।
अभी सरकार के पास सीधे निगरानी की नहीं व्यवस्था
अभी दिल्ली सरकार को लैंडफिल साइट का सीधे डाटा प्राप्त नहीं होता। उसे निगम से रिपोर्ट मांगनी पड़ती है। मंत्री ने बताया कि लैंडफिल साइटों पर हो रहे कामकाज की निगरानी के लिए निगम के डैशबोर्ड को पर्यावरण विभाग से जोड़ा जाएगा, ताकि रिपोर्ट इनसे न मांगनी पड़ी। सीधे रोज उसकी कड़ी निगरानी की जा सके।
कितनी गाड़ियां आ रहीं होगी निगरानी
सिरसा ने कहा कि दिल्ली की गिनती विश्व के उन शहरों में होगी जो अपने यहां आने वाले हर वाहन की निगरानी करेगी। इसके लिए व्यवस्था बनाई जा रही है। साथ ही 500 मीटर से ऊपर हर निर्माण स्थल की निगरानी की जाएगी। दिल्ली सरकार को पता रहेगा कि ऐसे निर्माण स्थलों पर प्रदूषण का स्तर क्या है।
गाजीपुर लैंडफिल के लिए दिए अलग निर्देश
मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि गाजीपुर लैंडफिल साइट पर 70 लाख मीट्रिक टन कचा है। करीब 15 लाख मीट्रिक टन कचरे का पहले ही निपटान हो चुका है। उन्होंने कहा कि बायोमाइनिंग के काम की गति बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। निगम के ठेकेदार को कहा गया है कि वह कूड़ा निस्तारण की क्षमता बढ़ाकर 8000 मीट्रिक टन प्रतिदिन तक करे।
केवल निगरानी से कैसे होगा काम
डैशबोर्ड के जरिये निगरानी करने से काम कैसे होगा। यह सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहा है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि लैंडफिल साइट पर कचरा निस्तारण की स्थिति की निगरानी करने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि नया कचरा वहां न पहुंचे। स्रोत पर उसका निस्तारण करने की व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जाए।
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