Delhi Government: दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, इस कॉरिडोर की लागत में किया संशोधन
दिल्ली सरकार ने पीडब्ल्यूडी को बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर के तीसरे चरण की लागत वृद्धि के लिए कैबिनेट की मंज़ूरी हेतु नया प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। लागत बढ़ने के कारण परियोजना का बजट 900 करोड़ से बढ़कर 1260.63 करोड़ रुपये हो गया है। सरकार विधि विभाग से राय लेगी और उपराज्यपाल से मंज़ूरी लेगी। परियोजना 87% पूरी हो चुकी है लेकिन वन विभाग से अनुमति लंबित है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने लोक निर्माण विभाग ( पीडब्ल्यूडी) को लंबे समय से लंबित बारापुला फेज-तीन एलिवेटेड कारिडाेर की लागत में वृद्धि को समायोजित करने के लिए कैबिनेट की मंज़ूरी के लिए एक नया व्यापक प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है।
2015 में स्वीकृत और प्रारंभिक अनुमानित लागत 900 करोड़ बढ़कर अब 1,260.63 करोड़ रुपये हाे गई है। इस परियोजना में अब तक 1,238.68 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और इसके मूल बजट से अधिक होने की उम्मीद है, इसलिए सभी लंबित देनदारियों को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से मंज़ूरी की आवश्यकता होगी।
28 जुलाई को हुई व्यय एवं वित्त समिति की बैठक में मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) के अनुसार भुगतान प्रस्ताव के साथ इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई। बैठक के विवरण में लिखा है कि पीडब्ल्यूडी सभी लंबित देनदारियों, जिनमें मध्यस्थता निर्णय आदि शामिल हैं, को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट के लिए एक व्यापक प्रस्ताव तैयार करेगा ताकि संशोधित परियोजना लागत के लिए उपराज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त की जा सके।
क्योंकि परियोजना को पहले उपराज्यपाल की स्वीकृति से ही मंजूरी दी गई थी। सरकार इस परियोजना में मध्यस्थता निर्णय के संबंध में विधि विभाग की राय लेने और फिर अंतिम निर्णय लेने की भी योजना बना रही है।
अधिकारियों ने कहा कि पीडब्ल्यूडी विधि विभाग की राय लेगा कि क्या मध्यस्थता निर्णय देने का मामला अनुमोदन के लिए उपयुक्त है और क्या अब अपील दायर की जा सकती है। सरकार के अनुसार अक्टूबर 2017 में पूरा होने वाला एलिवेटेड रोड बार-बार विलंबित हुआ और अंततः मामला मध्यस्थता में चला गया।
मध्यस्थता के फैसले में ठेकेदार के पक्ष में 120 करोड़ रुपये, ब्याज और जीएसटी मिलाकर कुल 175 करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया गया। जब भुगतान रोक दिया गया, तो कंपनी ने फैसले को लागू कराने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
अधिकारियों के अनुसार, परियोजना वर्तमान में लगभग 87 प्रतिशत पूरी हो चुकी है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिनमें से जून तक 86.43 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री को यह भी बताया गया है कि वर्तमान में परियोजना 87 प्रतिशत पूरी हो चुकी है, और वन विभाग के पास पेड़ों की कटाई की अनुमति लंबित होने के कारण काम रुका हुआ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।