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    Delhi News: दिल्ली सरकार ने दो अधिकारियों को जबरन किया रिटायर, मुख्य सचिव ने की कार्रवाई

    By V K Shukla Edited By: Geetarjun
    Updated: Wed, 13 Mar 2024 12:07 AM (IST)

    अनियमितताओं के मामले में दिल्ली सरकार ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के दो अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया है। मुख्य सचिव नरेश कुमार ने इस बारे में ...और पढ़ें

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    दिल्ली सरकार ने दो अधिकारियों को जबरन किया रिटायर, मुख्य सचिव ने की कार्रवाई।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। अनियमितताओं के मामले में दिल्ली सरकार ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के दो अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया है। मुख्य सचिव नरेश कुमार ने इस बारे में कार्रवाई की है। जिन्हें जबरन सेवानिवृत्त किया गया है, इनके नाम नवीन कुमार दहिया और मंजीत सिंह हैं।

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    दोनाें इस समय शिक्षा विभाग में सेक्शन ऑफिसर थे। ये दोनों 2012 के एक मामले में जबरन सेवानिवत्त किए गए हैं। जिस समय का इन पर आरोप है उस समय ये खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में निरीक्षक थे। दोनों पर आरोप है कि इन्होंने 24 अगस्त 2012 को व्यावसायिक परिसर का अनाधिकृत रूप से निरीक्षण करने के दौरान भ्रष्टाचार किया था।

    मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा जारी आदेशों के अनुसार अगस्त 2012 में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रवर्तन विंग में निरीक्षकों के रूप में अपनी तैनाती के दौरान दोनों अधिकारियों ने करोल बाग के बापा नगर में एक केरोसिन डिपो पर अनधिकृत रूप से छापा मारा था और डीलर से 4 लाख रुपये की मांग की और स्वीकार किया। मामले में एक अन्य आरोपी पहले ही 2014 में सेवा से सेवानिवृत्त हो चुका है।

    मुख्य सचिव के आदेश के अनुसार नवीन कुमार दहिया व मंजीत सिंह दिल्ली प्रशासन अधीनस्थ सेवा (दास) ग्रेड- I अधिकारी थे। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अक्तूबर 2012 में अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी और जांच की थी। जिसने मार्च 2018 में एक विशेष न्यायाधीश की अदालत में मामले की रिपोर्ट पेश की थी। दोनों आरोपी अधिकारियों पर अक्तूबर 2020 में तीन मामलों में आरोप पत्र दायर किया गया।

    उनके द्वारा आरोपों से इंकार करते हुए एक लिखित बयान प्रस्तुत करने के बाद अनुशासनात्मक प्राधिकारी (मुख्य सचिव) ने सेवानिवृत्त दानिक्स अधिकारी आरएल श्रीवास्तव को जांच प्राधिकारी नियुक्त किया। श्रीवास्तव ने जून 2022 में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाते हुए अपनी रिपोर्ट सौंपी। आरोपी अधिकारियों ने तर्क दिया कि सीबीआइ ने जांच की थी और उन्हें बरी कर दिया गया था। लेकिन जांच प्राधिकारी का कहना था कि विशेष अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था, क्योंकि सीबीआइ पर्याप्त सबूत जुटाने में विफल रही थी, न की मामले की योग्यता के आधार पर। इसलिए मामला बड़ा जुर्माना लगाने के उपयुक्त था और उन्हें अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया।