दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, महिलाओं को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए बनेंगे 53 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय
दिल्ली सरकार महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामलों में तेजी से न्याय प्रदान करने के लिए 53 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय स्थापित करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इन न्यायालयों में पॉक्सो अधिनियम 2012 और दुष्कर्म से जुड़े मामलों की सुनवाई की जाएगी वर्तमान में 17000 से अधिक मामले लंबित हैं।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध के मामलों में त्वरित न्याय दिलाने के लिए दिल्ली में 53 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय स्थापित होंगे।
इनकी स्थापना के लिए भवन व अन्य आवश्यक ढांचा, न्यायिक अधिकारियों और सहायक कर्मियों की नियुक्ति भी शीघ्र होने की उम्मीद है। विधि विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेज दिया है।
इस समय दिल्ली में 16 अस्थायी फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय चल रहे हैं। दिल्ली की जनसंख्या और अपराध को देखते हुए यह कम है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार अन्य महानगरों की तुलना में दिल्ली में महिलाओं से संबंधित अपराध सबसे अधिक होते हैं।
पीड़ित महिलाओं को वर्षों तक न्याय नहीं मिलता है। कुछ माह पूर्व उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता में महिला सुरक्षा पर गठित टास्क फोर्स की उच्चस्तरीय बैठक में पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलने में विलंब होने पर चर्चा की गई थी।
उपराज्यपाल ने महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए इस दिशा में ठोस कदम उठाने को कहा था। उसके बाद दिल्ली सरकार के विधि विभाग द्वारा इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से परामर्श लिया गया।
हाई कोर्ट ने लंबित मामलों और वित्त आयोग की सिफारिशों को देखते हुए दिल्ली में 37 अतिरिक्त फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय बनाने और अस्थायी न्यायालयों को भी स्थायी न्यायालय में परिवर्तित करने की सिफारिश की है।
दिल्ली हाई कोर्ट की सिफारिश के आधार पर दिल्ली सरकार ने 37 नए और 16 अस्थायी को स्थायी फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय बनाने का निर्णय लिया गया है।
इस तरह से कुल 53 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय बनेंगे। इसके लिए 53 न्यायिक अधिकारियों की भी जल्द नियुक्ति होगी। दिल्ली सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि दिल्ली सरकार ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया है।
यह कदम न केवल त्वरित न्याय की गारंटी देगा बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महिला सशक्तीकरण और सुरक्षित भारत के विजन को भी सशक्त करेगा। यह निर्णय न्याय व्यवस्था को सशक्त और प्रभावी बनाने की दिशा में एक दीर्घकालिक पहल है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों के 17,000 से अधिक मामले कोर्ट में लंबित हैं। इन न्यायालयों में पाक्सो अधिनियम, 2012 और दुष्कर्म से जुड़े मामले की सुनवाई की जाएगी।
केंद्रीय न्याय विभाग ने यौन अपराधों से संबंधित मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए पूरे देश में फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों और विशिष्ट पाक्सो न्यायालयों की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू की है। ऐसी प्रत्येक अदालत में एक न्यायिक अधिकारी और सात सदस्य कर्मियों का प्रविधान किया गया है।
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