दिल्ली में ED अधिकारी बनकर कार शोरूम मैनेजर से 30 लाख की लूट, 48 घंटे के भीतर तीन आरोपी गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस ने एक कार शोरूम के मैनेजर को अगवा कर 30 लाख रुपये लूटने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। चाणक्यपुरी थाना पुलिस ने 48 घंटे के भीतर तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें एक आरोपित शोरूम में सेल्स एग्जीक्यूटिव था जिसने पूरी साजिश रची थी। पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से 15 लाख रुपये नकद और वारदात में इस्तेमाल की गई कार बरामद कर ली है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का अधिकारी बताकर एक कार शोरूम के मैनेजर को अगवा कर 30 लाख रुपये लूटने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया है। चाणक्यपुरी थाना पुलिस ने 48 घंटे के भीतर तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें एक आरोपित शोरूम में सेल्स एग्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत था, जिसने पूरी साजिश रची थी।
गिरफ्तार आरोपितों की पहचान सुनील कुमार तनेजा, सूरज और सुमित यादव के रूप में हुई है। पुलिस ने उनके कब्जे से 15 लाख रुपये नकद, दो लाख की डाउन पेमेंट से खरीदी गई एक कार और वारदात में इस्तेमाल की गई कार बरामद कर ली है। इसके अलावा आठ लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि को भी फ्रीज कर दिया गया है।
उपयुक्त देवेश कुमार महला के मुताबिक, एक्सक्लूसिव मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड के सहायक प्रबंधक अनिल तिवारी ने दो जुलाई को शिकायत दर्ज करवाई थी। यह शोरूम सम्राट होटल, चाणक्यपुरी में स्थित है, जहां बेंटले और अन्य महंगी कारें बेची जाती हैं।
शिकायत में बताया गया कि 19 जून को एक ग्राहक ने बेंटले कार के लिए 30 लाख रुपये नकद भुगतान किया था, जिसे कार की डिक्की में रखा गया था। 20 जून की शाम अनिल तिवारी जब स्कूटी से घर जा रहे थे, तब हंगरी एंबेसी के पास उन्हें एक कार ने ओवरटेक कर रोका।
कार में बैठे दो लोगों में से एक ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी और दूसरे सिविल कपड़ों में थे। खुद को ईडी अधिकारी बताते हुए उन्होंने तिवारी को अगवा किया और शोरूम वापस लाए और कार की डिक्की से 30 लाख रुपये निकाल लिए। बाद में उन्हें राजौकरी (एनएच-8) के पास उन्हें छोड़ दिया और फरार हो गए।
शुरुआत में शोरूम मैनेजर इसे सरकारी कार्रवाई समझकर शांत रहे, लेकिन जब सच्चाई सामने आई, तो मामला दर्ज किया गया। एसएचओ बलीहर सिंह की टीम ने सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर पांच जुलाई को सुनील को, सात जुलाई को सूरज को और आठ जुलाई को सुमित यादव को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में पता चला कि सुमित शोरूम में कार्यरत था और आर्थिक तंगी के चलते उसने नकदी की जानकारी सुनील को दी थी। सुनील ने अपने साथी सूरज के साथ मिलकर ईडी के फर्जी आईडी कार्ड बनवाए और लूट की वारदात को अंजाम दिया।
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