Delhi के डिटेंशन सेंटर में हिंसा, CCTV फुटेज गायब होने पर कोर्ट ने जताई हैरानी; मंत्रालय को सौंपी जांच
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के एक डिटेंशन सेंटर में बंदियों द्वारा हिंसा की घटना की जांच गृह मंत्रालय को सौंपी है। अदालत ने सीसीटीवी फुटेज गायब होने पर आश्चर्य जताया और लापरवाही पर चिंता व्यक्त की। दो विदेशी नागरिकों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया गया जिन पर हिंसा में शामिल होने का आरोप है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में एक डिटेंशन केंद्र में बंदियों द्वारा हिंसा की घटना की जांच करने का दिल्ली हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय को निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की पीठ ने कहा कि आश्चर्यजनक है कि लामपुर स्थित सेवा सदन नामक डिटेंशन केंद्र में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज जांचकर्ता से छिपाई जा रही है।
पीठ ने उक्त निर्देश दो विदेशी नागरिकों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया। उन पर हिंसा के दौरान एक गार्ड का हाथ मरोड़कर उसे घायल करने का आरोप है।
कोर्ट ने रिकॉर्ड पर लिया कि समाज कल्याण विभाग का आरोप है कि सीसीटीवी सीआरपीएफ द्वारा मैनेज किया जा रहा था, जबकि सीआरपीएफ का आरोप है कि सीसीटीवी एफआरआरओ द्वारा मैनेज किया जा रहा था।
वहीं, एफआरआरओ का आरोप है कि सीसीटीवी समाज कल्याण विभाग द्वारा मैनेज किया जा रहा था। यह घटना दिल्ली पुलिस सहित अन्य एजेंसियों द्वारा घटना को कैद करने वाले सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में लापरवाही बरतने के बाद हुई थी।
आरोप लगाया गया कि नौ बंदियों में से दो को मौके पर ही पकड़ लिया गया, जबकि सात भाग गए। इनमें से छह को पकड़ लिया गया, जबकि एक फरार है।
अदालत ने कहा कि बार-बार सुनवाई स्थगित करने के बावजूद अभियोजन पक्ष घटना के सीसीटीवी फुटेज के रूप में कानूनी रूप से स्वीकार्य दृश्य साक्ष्य नहीं दिखा सका। दोनों आरोपितों को जमानत देते हुए पीठ ने कहा कि चूंकि उनमें से किसी के पास वैध पासपोर्ट और वीजा नहीं है, इसलिए उन्हें वापस डिटेंशन केंद्र भेज दिया जाए।
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एपीपी ने दलील दी कि दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव या गृह मंत्रालय के सचिव इस मामले में आवश्यक पूछताछ या जांच करने के लिए सक्षम प्राधिकारी होंगे। इस पर पीठ ने आदेश की एक प्रति भारत सरकार के गृह मंत्रालय के सचिव को भेजने का निर्देश दिया, ताकि वे उचित जांच की जा सके।
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