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    Digital Arrest: BSNL से र‍िटायर्ड अफसर से ठगे 14 लाख, जालसाजों को दिल्‍ली पुलिस ने राजस्थान से दबोचा

    Updated: Tue, 01 Jul 2025 05:32 PM (IST)

    उत्तरी जिले की साइबर थाना पुलिस की टीम ने डिजिटल अरेस्ट कर लोगों को ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों ने पीड़ित को यह कहकर डराया था कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है। आरोपितों ने हाल ही में बीएसएनएल से सेवानिवृत्त अधिकारी से 14 लाख रुपये की ठगी की थी।

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    डिजिटल अरेस्ट कर बीएसएनएल के सेवानिवृत्त अधिकारी से 14 लाख ठगने वाले दो जालसाज धरे। फोटो : जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। उत्तरी जिले की साइबर थाना पुलिस की टीम ने डिजिटल अरेस्ट कर लोगों को ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों ने हाल ही में बीएसएनएल से सेवानिवृत्त अधिकारी से 14 लाख रुपये की ठगी की थी।

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    जालसाज राजस्थान के बाड़मेर से धरे गए

    आरोपितों ने पीड़ित को यह कहकर डराया था कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है और वे उसे गिरफ्तार करने आ रहे हैं। जांच के दौरान, जालसाजों को राजस्थान के बाड़मेर से गिरफ्तार किया गया।

    पुलिस ने इनके कब्जे से अपराध में इस्तेमाल किए गए दो मोबाइल फोन और दो सिम कार्ड बरामद किए हैं। आरोपितों की पहचान राजस्थान बाड़मेर के बंशी लाल और प्रेम कुमार के रूप में हुई है। पुलिस इनसे पूछताछ कर मामले में आगे की जांच कर रही है।

    खुद को बताया साइबर क्राइम, बाम्बे का अधिकारी

    उपायुक्त राजा बांठिया के मुताबिक, साइबर पुलिस थाने में पीड़ित कैलाश कुमार मीना ने शिकायत दर्ज कराते हुए बताया था कि उनके मोबाइल पर एक वाट्सएप वीडियो काल आई, जिसमें काल करने वाले ने खुद को साइबर क्राइम, बाम्बे का अधिकारी बताया और उन्हें यह कहकर डराया कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है और पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने उनके घर आ रही है।

    दबाव बनाने पर शिकायतकर्ता डर गए और जालसाज के निर्देश पर बताए गए खाते में 14 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। 22 अप्रैल को पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जालसाजों को पकड़ने के लिए इंस्पेक्टर मनीष कुमार के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया।

    100 मोबाइल नंबरों की करनी पड़ी़ जांच

    टीम ने लगभग 100 मोबाइल नंबरों और आइएमईआइ के काल डिटेल रिकार्ड का विश्लेषण किया। इस दौरान कई बैंक खातों में पैसे के लेन-देन की गहन जांच की गई।

    ई-कामर्स और यूपीआइ प्लेटफार्म जैसे फोनपे, पेटीएम, रैपिडो, पोर्टर, स्विगी, जोमैटो, ब्लू डार्ट आदि से जानकारी हासिल की गई और छापेमारी की गई, लेकिन आरोपित बार-बार अपना ठिकाना बदल रहे थे।

    इसके बाद पुलिस टीम ने संदिग्ध मोबाइल नंबरों की निगरानी बढ़ाई। इससे जालसाजों की लोकेशन बाड़मेर, राजस्थान के इलाके में पाई गई। 15 जून को टीम ने बाड़मेर में छापेमारी कर आरोपित बंशी लाल को पकड़ लिया। उसकी निशानदेही पर सह आरोपित प्रेम कुमार को भी उसी दिन बाड़मेर में उसके घर से गिरफ्तार कर लिया।

    ऐसे चुराया नेट बैंकिंग का विवरण 

    पूछताछ में बंशी लाल ने बताया कि उसने प्रेम कुमार के संपर्क में आकर बैंक खाता खोला और खाते से जुड़े मोबाइल नंबर के साथ-साथ सभी नेट बैंकिंग विवरण प्रेम कुमार को दे दिए था। इसके बदले में उसे आठ हजार रुपये मिले थे।

    आरोपित प्रेम कुमार ने पूछताछ में बताया कि उसने बंशी लाल के बैंक खाते का विवरण सतपाल बिश्नोई नामक व्यक्ति को दिया, जिसने उसे 15 हजार रुपये दिए थे।

    सतपाल बिश्नोई ठगी गई राशि को इस बैंक खाते में ट्रांसफर करवाता था। फिर प्रेम कुमार ने बंशी लाल को चेक के माध्यम से बैंक से नकदी निकालने का निर्देश दिया। इसके बाद निकासी की गई राशि सतपाल बिश्नोई को भेज दी।

    सीसीटीवी कैमरों में अपनी पहचान छिपाने के लिए आरोपितों ने बैंक एटीएम मशीन से पैसे निकालने के लिए एटीएम कार्ड का उपयोग नहीं किया।

    अन्य आरोपितों की तलाश में जुटी

    प्रेम कुमार ने यह भी बताया कि उसने अपना बैंक खाता और एक अन्य व्यक्ति चिन्नू लाल का बैंक खाता सतपाल बिश्नोई को 15-15 हजार रुपये में उपलब्ध कराया था। पुलिस इनसे पूछताछ कर गिरोह में शामिल अन्य आरोपितों की तलाश में जुटी है।