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    लापरवाही की हद! दिल्ली में तीन मासूमों की जिंदगी निगल गए नाले, फिर भी आंखें मूंदे बैठे हैं अधिकारी

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 10:33 AM (IST)

    बाहरी दिल्ली में खुले नालों में गिरकर तीन बच्चों की मौत हो चुकी है लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। अलीपुर मुकरबा चौक और खेड़ा खुर्द में हुए हादसों के बाद भी नाले खुले हैं। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि सिस्टम की लापरवाही के कारण बच्चों की जान गई है और संबंधित विभाग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती।

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    तीन बच्चों की मौत के बाद भी ढके नहीं गए नाले। जागरण

    शमसे आलम, बाहरी दिल्ली। बाहरी दिल्ली में अलीपुर, खेड़ा खुर्द और मुकरबा चौक के पास खुले नालों में गिरकर तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। बावजूद इन जगहों पर लंबे समय बाद भी नालों को ढका नहीं गया है।

    वहीं, संबंधित अधिकारी फिर से किसी बड़ी घटना के इंतजार में हैं। अधिकारियों के लापरवाह रवैये का नतीजा है कि देश की राजधानी दिल्ली में नालों में गिरकर बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

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    पीड़ित परिवारों का कहना है कि सिस्टम की लापरवाही ने हमारे बच्चों की जान ले ली, लेकिन अब किसी परिवार के साथ ऐसा न हो, इसके लिए बिना किसी देरी इन जगहोें पर खुले हुए नालों को ढकने की जरूरत है।

    अलीपुर में 12 माह पहले हुई थी बच्ची की मौत

    अलीपुर स्थित अकबरपुर माजरा गांव से पीडब्ल्यूडी का छह से आठ फुट गहरा नाला गुजर रहा है। इसी खुले नाले में खेत के पास 26 अगस्त 2024 को पांच वर्षीय मुस्कान की गिरने से मौत हो गई थी। बावजूद अभी तक इस नाले को ढ़कने के लिए पीडब्ल्यूडी की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। जिसको लेकर स्थानीय लोगों के साथ-साथ पीड़ित परिवार में भी भारी नाराजगी है।

    मृतका मुस्कान के पिता धर्मेंद्र ने बताया कि वह अकबरपुर माजरा गांव में तीन बच्चों और पत्नी के साथ रहते हैं, एक वर्ष पूर्व हुए हादसे में बेटी की तो जान चली गई, लेकिन अभी तक विभाग की ओर से इसे ढ़का नहीं गया है। हर बार इस खुले नाले को देखकर उनकी रूह तक कांप जाती है। हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं यह हादसा किसी और के साथ न हो जाए।

    हादसे के डेढ़ महीने बाद भी नाला ढकने की जहमत नहीं उठाई

    मुकरबा चौक के पास रामगढ़ गांव स्थित कब्रिस्तान के सामने 06 जुलाई 2025 को खुले नाले में गिरने से चार वर्षीय रिजवान की दर्दनाक मौत हो गई थी। लेकिन अभी तक पीडब्ल्यूडी के किसी अधिकारी इस नाले को कवर करना जरूरी नहीं समझा है। डेढ़ महीने बाद भी आज भी घटनास्थल के आसपास तीन जगहों पर नाला खुला पड़ा है।

    मृतक रिजवान के पिता शमशुद्दीन ने कहा कि उनका बेटा मुहर्रम के दिन जुलूस देखने गया था, तभी खुले नाले में गिरने से मौत हो गई। बावजूद यह नाला अभी तक खुला हुआ है। अधिकारी किसी बड़ी घटना के इंतजार में हैं।

    रक्षाबंधन के दिन हुई मौत, अभी तक खुली पड़ी है नाली

    नौ अगस्त को रक्षा बंधन के दिन ही खेड़ाखुर्द में गली में खेलते हुए खुली हुई नाली में ढ़ाई वर्षीय निकुंज गिर गया, फिर सीवर लाइन में बहने से उसकी मौत हो गई थी। हादसे के करीब एक सप्ताह बाद भी इस खुली पड़ी नाली को ढ़का नहीं जा सका है।

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    निकुंज के पिता पंकज ने बताया कि यह नाली एमसीडी के अधीन है। विभागीय लापरवाही का नतीजा है कि उनकी बेटे की जान गई, लेकिन अभी भी विभाग किसी बड़ी अनहोने के इंतजार में है। वहीं, हादसे के बाद बच्चे के रेस्क्यू के लिए सीवर लाइन तोड़ी गई थी। कई मेनहोल के ढ़क्कन भी तोड़े गए थे, लेकिन इसकी भी मरम्मत अभी तक नहीं कराई गई है।

    संबंधित अधिकारियों के खिलाफ नहीं होती ठोस कार्रवाई

    इस तरह के हादसों के बाद देखा गया है कि पुलिस न तो संबंधित विभाग के खिलाफ ही एफआईआर करती है और नहीं संबंधित अधिकारी के खिलाफ ही नामित एफआईआर करती है। जिसका नतीजा है कि दिल्ली में एक के बाद एक बच्चे इन खुले नालों में गिर रहे हैं, लेकिन कोई इन खुले पड़े नालों पर कार्रवाई तक नहीं करता है। एफआईआर में झोल की वजह से पीड़ित परिवार को मुआवजा तक नहीं मिलता है।