Delhi Chunav: इस बार क्या हैं प्रमुख मुद्दे? पूर्वांचल के मतदाताओं ने मन में ठाना...; एक झटके में पलट देंगे बाजी
Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025 दिल्ली चुनाव में पूर्वांचली मतदाता सड़कों साफ-सफाई शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं। वे ऐसे ...और पढ़ें

मुहम्मद रईस, दक्षिणी दिल्ली। Delhi Vidhan Sabha Election 2025 कड़ाके की सर्दी के बीच सड़कों पर जल रहे अलाव के पास आग सेंक रहे लोग हों या दुकान पर चाय की चुस्की मार रहे सियासतबाज हर किसी की जुबान पर दिल्ली में चल रहे महासमर की चर्चा है।
पिछले कई चुनाव से राजधानी में मतदान कर रहे मतदाताओं के सामने भी यही सवाल है कि आखिर वह किस राजनीतिक दल या प्रत्याशी पर भरोसा करें, जो उनकी मूलभूत जरूरतों के साथ ही राजधानी को विकास की पटरी पर लेकर जाएं।
पूर्वांचल के मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग
दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग है, इनकी वैसे तो हर सीट पर बड़ी हिस्सेदारी है, लेकिन 16 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां 20 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी होने की वजह से पूर्वांचल के मतदाता निर्णायक माने जा रहे हैं। इसे देखते हुए वरिष्ठ संवाददाता मुहम्मद रईस ने पूर्वांचल के मतदाताओं से बात कर उनकी समस्याओं और मुद्दों पर बात करने के साथ ही उनका मन टटोलने का प्रयास किया।
महाकुंभ के आयोजन को लेकर प्रयागराज का नाम इन दिनों हर किसी की जुबान पर है। यहीं के फतेहपुर गंगाघाट निवासी गोपाल मिश्रा रोजगार की तलाश में करीब तीन दशक पहले दिल्ली आए। प्राइवेट नौकरी मिली तो रहने के लिए सरिता विहार को चुना, यहीं बस गए।
उनका कहना है कि गांव की तरह यहां पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं है। कचरा कई-कई दिन तक उठता नहीं। सड़कों पर जहां-तहां कचरे का ढेर है। नाली-सीवर की सफाई नहीं होती। कभी कभार झाड़ू लग जाए तो सौभाग्य की बात है।
वहीं चाय की रेहड़ी पर मिले कानपुर निवासी राकेश कुमार का कहना था कि पूर्वांचल के लोग दिल्ली के जिस भी हिस्से में मिलेंगे, उनके सामने समस्याएं भी कमोबेश यही हैं। घर-बार, गांव-खलिहान छोड़कर मेहनत-मजदूरी करने आए लोगों के सामने रोजगार, बच्चों की शिक्षा और साफ पानी के लिए संघर्ष जैसी समस्या सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी हैं।
चुनाव आता है तो कुछ उम्मीद बनती है, वादे होते हैं। एकजुट होकर पूर्वांचल के लोग वोट भी करते हैं। लेकिन हर बार ठगे जाना उनकी नियति बन गई है। अब फिर चुनाव सामने है। लोग वही हैं और उनके मुद्दे भी।
वादे नहीं इस बार नीयत का करेंगे आकलन
पूर्वांचल के मतदाताओं का कहना है कि राजनीतिक दलों के वादे नहीं, इस बार उनकी नीयत का भी आकलन करके वोट करेंगे। सोशल मीडिया पर पार्टी या प्रत्याशी का पूरा बायोडाटा चेक करेंगे। इसके बाद उसे चुनेंगे जो वाकई में मुद्दों को उठाने की क्षमता रखता होगा। मकसद केवल एक है सड़क से लेकर सीवर, नाली से लेकर मोहल्ला तक साफ-सुथरा हो, बच्चों को पढ़ने के लिए बढ़िया स्कूल मिलें।
उन्हें रोजगार के अवसर मिलें, पीने के लिए परिवार को साफ पानी और यदि कोई बीमार पड़ जाए तो उसे उपचार मिल जाए। रोजगार सुनिश्चित हो और शिक्षा व उपचार के टेंशन से मुक्ति मिले तो शायद वह खुल कर जी सकें। अपने मुद्दों पर पूर्वांचल के मतदाता एकजुट रहते हैं।
सत्ता के गलियारे तक पहुंचाते हैं पूर्वांचली
पूर्वांचली मतदाताओं को साधने के लिए 1998 में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को आगे किया था। कांग्रेस को इसका फायदा मिला और 15 साल तक दिल्ली की सत्ता में रहीं। 2013 में इन्हीं मुद्दों पर पूर्वांचली मतदाता आप के साथ जुड़ गए तो इन सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज प्रत्याशी भी धराशाई हो गए। ऐसे में इस बार पूर्वांचल के मतदाताओं को साथ लाने के लिए तीनों ही दलों के रणनीतिकार लगे हुए हैं। अब चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि इस बार पूर्वांचल किसके साथ है।
- 29 सीटों पर इनका अच्छा राजनीतिक प्रभाव है
- 16 सीटें तो ऐसी हैं, जिन पर हार-जीत में इनकी निर्णायक भूमिका रहती
- 30 प्रतिशत तक है इन विधानसभा क्षेत्रों में पूर्वांचल के मतदाताओं की संख्या

यहां निर्णायक हैं पूर्वांचली मतदाता
विस सीट-कुल मतदाता पूर्वांचली(प्रतिशत में)
-देवली- 249637 29
-संगम विहार-198913 34
-बुराड़ी-383040 27
-किराड़ी-293345 29
-विकासपुरी-428700 28
-द्वारका-220712 23
-पालम-249458 26
-लक्ष्मीनगर-198617 31
-मटियाला-424506 20
-करावल नगर-288509 20
-सीमापुरी-197439 22
-रिठाला-301652 23
-मंगोलपुरी-179432 27
-बादली-215870 26
-त्रिलोकपुरी-182706 38
-पटपड़गंज-215803 23
(नोट-मतदाता ईसीआइ के 1 जनवरी 2024 के आंकड़ों के मुताबिक व पूर्वांचली अनुमानित)

दिल्ली में मतदाताओं की स्थिति एक नजर में
कुल आबादी (अनुमानित)-2,17,35,848
कुल मतदाता-1,55,24,858
पुरुष-83,49,645
महिला-71,73,952
थर्ड जेंडर-1,261
पूर्वांचली मतदाता (अनुमानित)- 46 लाख
बोले पूर्वांचली मतदाता
प्राइवेट जाब के सिलसिले में 1995 में आया था। तब से सरिता विहार में ही रह रहा हूं। डीडीए कालोनी होने के बाद भी पीने के लिए गंदा पानी ही मिलता है। सड़कें टूटी हैं। गली से लेकर लेकर नाली तक की नियमित सफाई नहीं होती। समस्या दो दशक से बनी हुई है। इस बार वोट ऐसे प्रत्याशी को देना है, जो इन्हें दूर कर सके। -गोपाल मिश्रा (मूल निवास-उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित फतेहपुर गंगाघाट)
मैं डीयू की छात्रा हूं। खाली समय में बच्चों को पढ़ाती भी हूं। यूपी-बिहार से लोग अपना सबकुछ छोड़कर यहां आए हैं, ताकि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, नई-नई चीजें सीखें। इसके लिए जरूरी है कि आस-पास ही केंद्रीय विद्यालय हो, लाइब्रेरी हो। वाकिंग डिस्टेंस पर ही उपचार की भी बेहतर व्यवस्था हो ताकि भटकना न पड़े। -मानसी राज (मूल निवास-पटना, बिहार)
साफ-सफाई भी नियमित नहीं
संगम विहार में रहकर सब्जी बेचते हुए 10 साल से अधिक समय हो गया है। साफ पानी तो छोड़ ही दीजिए, कई जगह सीवर लाइन तक ही नहीं है। गलियां-सड़कें पहले भी टूटे हुए थे, अब भी वही हाल है। साफ-सफाई भी नियमित नहीं है। सड़क से लेकर गलियों तक में मलबा और कचरा पड़ा रहता है। इस तरह के माहौल में भला बच्चों का विकास कैसे होगा। -दिनेश कुमार (मूल निवास-बिहार के मधुबनी जिला स्थित बासोपट्टी गांव)
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पहले सैलून पर कारीगर था। अब खुद का सैलून चलाता हूं। करीब 30 साल हो गए हैं संगम विहार में रहते हुए। यहां की स्थिति सुधरने की बजाय दिनों दिन खराब होती जा रही है। चलने के लिए ठीक से सड़क तक नहीं है। कहीं नाली जाम है तो कहीं गलियां टूटी पड़ी हैं। जिनका काम है इन्हें ठीक करने का, वो जीतने के बाद सुध ही नहीं लेते। -अशोक ठाकुर (मूल निवास-बिहार के समस्तीपुर जिला स्थित नरहन स्टेट गांव)

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