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    दिल्ली को कितनी बसों की जरूरत, कहां फेल हुई केजरीवाल सरकार? रेखा सरकार से लोगों को ये उम्मीद

    दिल्ली में बसों की कमी से जनता परेशान है जिसके लिए पिछली आप सरकार की उदासीनता जिम्मेदार है। 11000 बसों की जरूरत के मुकाबले केवल 7555 बसें ही उपलब्ध हैं। पहली किस्त में बसों की कमी के कारण लोगों को इंतजार करना पड़ता है। भाजपा सरकार से लोगों को राहत की उम्मीद है क्योंकि पिछली सरकार सिर्फ घोषणाएं करती रही।

    By V K Shukla Edited By: Rajesh KumarUpdated: Sun, 04 May 2025 07:29 PM (IST)
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    बसों की कमी से दिल्ली में हाहाकार, आप सरकार की विफलता का खामियाजा भुगत रही जनता। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली को 11000 बसों की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 7555 ही उपलब्ध हैं। बसों की कमी के कारण लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है। हर रूट पर बसों का इंतजार करना पड़ता है। बसों का समय तय न होने से लोगों को परेशानी हो रही है।

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    लोगों की मांग है कि पर्याप्त बसें उपलब्ध कराई जाएं और टर्मिनल से बसों का समय भी तय किया जाए। बसों के रूट भी बदले जाएं, अगर रूट पर यात्री ज्यादा हैं तो उन रूट पर ज्यादा बसें उपलब्ध कराई जाएं। लोगों का कहना है कि भाजपा सरकार को इस समस्या से राहत देनी चाहिए, पिछली आप सरकार 10 साल तक सिर्फ घोषणाएं ही करती रही।

    सरकार के पास 7255 बसें उपलब्ध

    दिल्ली की स्थिति पर नज़र डालें तो सरकार के पास इस समय 7255 बसें उपलब्ध हैं। पिछले चार महीनों में 900 बसें सड़कों से हटाई जा चुकी हैं। सरकार इस महीने 400 बसें सड़कों पर उतार पाई है। इनमें से करीब 300 नौ मीटर की छोटी बसें हैं। इन बसों से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली है, क्योंकि भीड़भाड़ वाले इलाकों में छोटी बसें भी चलाई जा रही हैं।

    दिल्ली में यह स्थिति बसों की कमी के कारण पैदा हुई है। इस समस्या की जड़ में जाएं तो पिछली आम आदमी पार्टी सरकार ने सार्वजनिक परिवहन के मामले में जो उदासीनता दिखाई थी, उसका खामियाजा अब जनता को भुगतना पड़ रहा है।

    केजरीवाल सरकार ने खरीदी थी इतनी बसें

    दरअसल, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार 2015 से 2020 तक अपने पहले कार्यकाल में डीटीसी बेड़े में एक भी बस नहीं खरीद सकी। अगर आप सरकार के दूसरे कार्यकाल की बात करें तो डीटीसी और क्लस्टर सेवा की करीब 2000 बसें सड़कों पर उतर सकीं।

    इनमें से ज्यादातर इलेक्ट्रिक बसें थीं। जनसेवा के मामले में आप सरकार की यह बड़ी विफलता रही कि सरकार 10 साल में बार-बार यह घोषणा करती रही कि दिल्ली सरकार के बेड़े में 10 हजार बसें शामिल होने जा रही हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

    हालांकि, खुद को शर्मिंदगी से बचाने के लिए सरकार ने अपनी मियाद पूरी कर चुकी 3700 डीटीसी बसों को भी चलाने की अनुमति दे दी थी। इस तरह ये बसें सड़कों से हटने से बच गईं।

    बसों की कमी यात्रियों की परेशानी बढ़ा रही है। कारण यह है कि सड़कों पर जरूरत से कम बसें हैं और लोगों को समय पर बसें नहीं मिल पा रही हैं।

    लोगों का कहना है कि अब केंद्र और दिल्ली दोनों जगह भाजपा की सरकार है, ऐसे में दिल्ली को व्यवस्थित करने में जो दिक्कतें अब तक आ रही थीं, वो अब नहीं हैं। दिल्ली की भाजपा सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाना चाहिए ताकि लोगों को इस परेशानी से राहत मिल सके।

    क्या कहते हैं लोग?

    मैं पिछले कई सालों से अपने घर नंद नगरी से 212 बस स्टैंड तक बस से यात्रा कर केंद्रीय सचिवालय में काम पर जाता रहा हूं, लेकिन पिछले कई सालों से मुझे बस के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। अब हमें उम्मीद है कि भाजपा सरकार इस इंतजार को खत्म करेगी और हमें पर्याप्त बसें मिल पाएंगी।

    - कंचन रौतेला, नंद नगरी

    मैं नेहरू प्लेस में काम करता हूं और मैं अपने घर से रोजाना बस बदलकर नेहरू प्लेस आता हूं। कई बार बसों के इंतजार में मेरा काफी समय बर्बाद हो जाता है। हमारी एक ही मांग है कि भाजपा सरकार हमें पर्याप्त बसें मुहैया कराए।

    - रामानंद सिंह, चौथ पुस्ता, सोनिया विहार

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