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    अपने परिवार को तंगहाली से उबारने के लिए आए थे दिल्ली... दरियागंज में इमारत गिरने से बुझ गए तीन घरों के चिराग

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 09:26 PM (IST)

    दिल्ली के अंसारी रोड पर एक इमारत गिरने से तीन श्रमिकों की मौत हो गई जिससे उनके परिवारों में मातम छा गया। बिहार के रहने वाले ये श्रमिक आर्थिक तंगी के कारण दिल्ली में काम करने आए थे। हादसे में बचे लोगों ने बताया कि मरने वाले श्रमिक 17 जुलाई से इस इमारत में काम कर रहे थे।

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    रोजी रोटी की तलाश में आए थे, उजड़ गए परिवार।

    मोहम्मद साकिब, नई दिल्ली। दिल्ली के अंसारी रोड पर जर्जर इमारत गिरने से तीन श्रमिकों की दर्दनाक मौत के बाद अस्पताल का माहौल बेहद गमगीन रहा। हादसे में जान बचाकर निकले अन्य श्रमिक अपने साथियों की मौत की खबर सुनकर सदमे में थे।

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    वह अस्पताल परिसर में बार-बार भटकते हुए उन्हें देखने की कोशिश करते रहे। साथी श्रमिकों की लाशें देखकर उनकी आंखों से आंसू नहीं थम रहे थे। जैसे ही उनकी मौत की खबर परिजनों को मिली तो गांव में उनके घर चीख-पुकार मच गई। रोजी-रोटी की तलाश में आए श्रमिकों के परिवार उजड़ गए।

    तीन परिवारों के बुझ गए चिराग

    अंसारी रोड में हुए हादसे में तीन परिवारों के चिराग बुझ गए। मूल रूप से बिहार के रहने वाले जुबैर कुछ महीने पहले ही चाचा तौफिक के पास दिल्ली घूमने आया था। जुबैर की मौसी महरून खातून ने रोते हुए बताया कि एक महीने पहले ही बिहार से जुबैर दिल्ली घूमने आया था।

    वह कुछ दिन आनंद विहार स्थित उनके घर पर रुका। घटना से 10 दिन पहले वह अपने चाचा ताफीक के साथ चिड़ायाघर में घूमने गया था। उन्होंने कई बार जुबैर को कहा था कि गांव में परिवार वाले अकेले हैं। तुम घर चले जाओ।

    जिस पर जुबैर ने कहा था कि वह कुछ महीने चाचा के साथ काम करके घर जाएगा। अगर जुबैर चला जाता तो शायद आज वो जिंदा होता।

    आर्थिक तंगी खींच लाई दिल्ली

    हादसे में चश्मदीद इमरान ने बताया कि मरने वाले तीनों श्रमिक मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। घर की आर्थिक हालात ठीक न होने के कारण वह बिहार से दिल्ली आए थे। वह इस इमारत में 17 जुलाई से काम कर रहे थे।

    इमरान के अनुसार, उनके परिवार के कुछ लोग आनंद विहार में रहते हैं। वह उन्हीं लोगों के साथ रह रहे थे। लेकिन यहां काम मिलने के बाद ठेकेदार ने कहा कि रोज इतनी दूर से क्या आओगे। यहीं रहकर काम करो।

    इमरान की मानें तो वह सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक काम करते थे। हादसे में जान गांवने वाले तौफिक के परिवार में पत्नी निशा बेगम, दो लड़के व दो लड़कियां हैं। पत्नी गांव में रहती है।

    परिवार की अच्छी परवारिश के लिए वह दिल्ली आए थे। परिवार में अकेले तौफीक ही कमाने वाले थे। इमरान ने तौफीक के परिवार के लिए सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है।

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