मुस्तफाबाद हादसे के बाद जागी सरकार, कई अधिकारियों पर एक्शन की तैयारी; आखिर दिखावटी ही क्यों रहती है कार्रवाई?
दिल्ली में 11 लोगों की मौत के बाद निगम हरकत में आया है। एक जेई को बर्खास्त और दूसरे का तबादला किया गया है और कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी है। अक्सर ऐसी कार्रवाई दिखावटी साबित होती है। दिल्ली में अवैध निर्माणों के कारण हर साल कई जानें जाती हैं लेकिन कार्रवाई तभी होती है जब मामला गंभीर हो जाए वरना एजेंसियां आंखें मूंद लेती हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में 11 लोगों की मौत के बाद निगम एक बार फिर नींद से जाग गया है और एक जेई को बर्खास्त करने से लेकर एक जेई के तबादले की कार्रवाई कर दी है और तीन और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही है। लेकिन यह कार्रवाई अक्सर दिखावटी बनकर रह जाती है।
राजधानी दिल्ली में हर वर्ष कई लोगों की इमारतें गिरने के कारण जान चली जाती है। इसके बाद मामला तूल पकड़ता है तो कार्रवाई हो जाती है अगर तूल न पकड़े तो एजेंसिया आंखे बंद करके बैठ जाती हैं।
कई संपत्तियों को स्पेशल प्रोविजन एक्ट का संरक्षण प्राप्त
राजधानी दिल्ली की बात करें तो 1700 अवैध कॉलोनियां हैं और 50 लाख के करीब संपत्तियां हैं। यह सभी अवैध निर्माण हैं। हालांकि कई संपत्तियों को स्पेशल प्रोविजन एक्ट का संरक्षण प्राप्त हैं। जबकि उसके बाद भी हो रहे अवैध निर्माण पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। प्रशासन की मिलीभगत से दिल्लीभर में अवैध निर्माण हो रहे हैं। अवैध निर्माण का मामला जब तूल पकड़ता है तो तब जाकर कार्रवाई होती है।
ऐसा ही दिल्ली में अवैध फैक्ट्रियों में आग लगने और नियमों के खिलाफ चलने वाले होटलों पर घटना होने से होता है। दिखावट के लिए शुरुआती कार्रवाई हो जाती है। कुछ सर्वे करके इमारतों की पहचान कर ली जाती है। जब मामला शांत हो जाए तो सर्वे और कार्रवाई सब फाइलों में दब जाते हैं। नेहरू विहार वार्ड में यह सर्वे हुआ है अब सभी की नजरें यहां होने वाली कार्रवाई पर हैं।
कॉलोनियों को नियमित करना है समाधान, लेकिन आते हैं कई रोड़े
राजधानी दिल्ली में अवैध निर्माण और अवैध कॉलोनियों की समस्या का समाधान कालोनियों को नियमित करके किया जा सकता है लेकिन इसमें कई व्यवधान आते हैं। क्योंकि यह अवैध कालोनियों की सड़कें काफी पतली है। पार्क नहीं और वहीं अस्पताल नहीं है। अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के लिए सबसे पहली शर्त न्यूनतम 9 मीटर की सड़क होनी चाहिए।
नियमानुसार मकान बनने लगेंगे तो ऐसे हादसे पर रोक लग सकेगी
इसमें ऐसे इलाकों की कॉलोनियों को नियमित किया जा सकता है जिनमें सड़क को नौ मीटर किया जाए। इसमें गली में दोनों तरफ के मकानों की मार्किंग ऐसे करनी होगी कि सड़क नौ मीटर की हो जाए। अब जब कोई भी इसमें नया मकान बनाए तो उसी मार्किंग से पीछे बनाए। इससे आने वाले 20 साल में यह गलियां नियमानुसार हो जाएगी। साथ ही जब नियमित हो जाएगी तो नियमानुसार मकान बनने लगेंगे तो ऐसे हादसे पर रोक लग सकेगी।
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