Delhi BMW Accident: अब CCTV फुटेज से खुला ये राज, गगनप्रीत कौर को लेकर उठा बड़ा सवाल
दिल्ली के धौला कुआं में हुए बीएमडब्ल्यू हादसे के मामले में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज पेश किया। फुटेज में मृतक की बाइक कभी बीएमडब्ल्यू के आगे तो कभी पीछे दिखी। शिकायतकर्ता ने लापरवाही का आरोप लगाया जबकि आरोपी के वकील ने कहा कि टक्कर बगल से हुई थी। कोर्ट ने जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। अभियोजन पक्ष ने आरोपी पर कानूनी कार्रवाई से बचने का आरोप लगाया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi BMW Accident दिल्ली में पटियाला हाउस स्थित न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने धौला कुआं में 14 सितंबर को हुए बीएमडब्ल्यू हादसे से जुड़ी सुनवाई में दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी घटना फुटेज पेश किया। इसमें मृतक नवजोत सिंह की मोटरसाइकिल कभी बीएमडब्ल्यू के पीछे तो कभी बराबर चलते दिखी।
सीसीटीवी फुटेज पर एक तरफ जहां शिकायतकर्ता ने आरोपी पर लापरवाही व तेजी से गाड़ी चलाने का आरोप लगाया, जिसके कारण ये दुर्घटना हुई। वहीं, दूसरी तरफ आरोपी गगनप्रीत कौर की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि फुटेज में कहीं भी यह नहीं दिखा कि मोटरसाइकिल बीएमडब्ल्यू से आगे थी।
उन्होंने दावा किया कि टक्कर पीछे से नहीं, बल्कि बगल से हुई थी, जैसा कि प्राथमिकी में भी कहा गया है। अधिवक्ता ने कहा कि फुटेज देख कर स्पष्ट होता है कि दोनों गाड़ियां एक ही स्पीड से चल रही थीं और दुर्घटना के बाद बाइक सवार बस से भी टकरा गया।
कोर्ट ने फुटेज को ध्यान से देखने के बाद आरोपित महिला की जमानत अर्जी पर 27 सितंबर तक के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अंकित ने मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष दोनों से लिखित तर्क भी मांगे हैं। इस हादसे में वित्त मंत्रालय के उप सचिव नवजोत सिंह की मौत हो गई थी।
वहीं, आरोपित की ओर से पेश अधिवक्ता प्रदीप राणा ने दलील दी कि गगनप्रीत कौर की कोई आपराधिक मंशा नहीं थी। हादसे के बाद उसने वेंकटेश्वर अस्पताल को काल किया, पीसीआर को सूचना दी और घायल नवजोत सिंह व उसकी पत्नी को न्यूलाइफ अस्पताल पहुंचाया। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्राथमिकी दर्ज करने में पुलिस को 10 घंटे की देरी क्यों हुई।
राणा ने तर्क दिया कि गगनप्रीत कौर खुद डाक्टर नहीं हैं और उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि मरीज के पास कितना समय बचा है। अधिवक्ता ने दलील दी कि गगनप्रीत बीते 10 दिनों से हिरासत में हैं, जांच में सहयोग किया है और फरार होने का कोई खतरा नहीं है, इसलिए उसे जमानत दी जानी चाहिए।
वहीं, विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अतुल श्रीवास्तव और अतिरिक्त लोक अभियोजक दिशांक धवन ने गगनप्रीत कौर की जमानत का विरोध किया। उन्होंने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिखाते हुए तर्क दिया कि आरोपित ने घायल को अस्पताल के बजाय नर्सिंग होम ले जाकर कानूनी कार्रवाई से बचने की कोशिश की, दुर्घटना पीड़ितों को ऐसे संस्थानों में नहीं ले जाना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि नर्सिंग होम में ट्रामा सेंटर जैसी सुविधाएं नहीं होती।
अभियोजन ने दलील दी कि एम्स जैसे बड़े अस्पताल आरोपित के घर के पास थे, बावजूद इसके वह घायलों को दूर स्थित न्यूलाइफ अस्पताल लेकर गई, जो उनके रिश्तेदारों का था। अभियोजन ने यह भी दलील दी कि साक्ष्यों से छेड़छाड़ की गई है और गवाहों ने भी आरोपित के रवैये पर सवाल उठाए हैं।
वहीं, स्पीड के बारे में, एसपीपी ने दलील दी कि बीएमडब्ल्यू पर डेंट की गंभीरता से पता चलता है कि उसकी स्पीड 50 किलोमीटर प्रति घंटा की अनुमति सीमा से कहीं ज्यादा थी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि बीएमडब्ल्यू कंपनी को नोटिस जारी कर क्रैश रिपोर्ट मांगी गई है ताकि गाड़ी की रफ्तार का पता चल सके।
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शिकायतकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अतुल कुमार ने कहा कि हादसे के बाद घायल नवजोत सिंह और उनकी पत्नी को घंटों तक अस्पताल की लाबी में स्ट्रेचर पर रखा गया, जबकि आरोपित को आइसीयू में भर्ती कर दिया गया। उन्होंने तर्क दिया कि घटना स्थल से सिर्फ दो मिनट की दूरी पर आर्मी बेस अस्पताल था, लेकिन घायलों को वहां नहीं ले जाया गया।
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