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    Delhi Fire: अब उठ रहे ये बड़े सवाल, बिल्डिंग की 9वीं मंजिल पर भीषण आग लगने से गई थी 3 की जान

    Updated: Wed, 11 Jun 2025 01:13 PM (IST)

    पश्चिमी दिल्ली के शबद अपार्टमेंट में आग लगने से तीन लोगों की मौत हो गई। घटना ने इमारत में आग से बचाव के अधूरे इंतजामों को उजागर किया है। आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं निवासियों ने प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं। दमकल की गाड़ियां देरी से पहुंचीं जिससे बचाव कार्य में बाधा आई। सोसाइटी में फायर सेफ्टी के नाम पर केवल ढांचा खड़ा था।

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    शबद अपार्टमेंट के फ्लैट में आग लगने से तीन की मौत हुई थी। जागरण

    गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। पश्चिमी दिल्ली में शबद अपार्टमेंट के फ्लैट में लगी भयावह आग में तीन लोगाें की मौत ने बहुमंजिला इमारत में आग से बचाव के अधूरे इंतजाम, इंतजामों की अपर्याप्त देखरेख, अग्निशमन से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम का अभाव व लोगों की संवेदनहीनता को उजागर किया है। इस बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। साेसाइटी में रहने वाले लोग जहां प्रबंधन के तौर तरीकों पर सवाल उठा रहे हैं तो प्रबंधन के लोगों का कहना है कि वे सही हैं, विराेधी लोग फालतू की बात कर रहे हैं।

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    प्रबंधन इस मामले में अग्निशमन विभाग को विलंब से पहुंचने के लिए सवालों के घेरे में ला रही है। इन सबके बीच तीसरा पक्ष उन लोगाें का है जो शबद अपार्टमेंट में रहते नहीं हैं, लेकिन यश व बच्चों की बालकनी से निकल रही चीख पुकार के बीच परिसर में दाखिल हुए और बचाव में तत्काल जुट गए। इनका कहना है कि यदि साेसाइटी के लोगों ने तत्परता दिखाई होती तो शायद तीनों जानें बचाई जा सकती थीं।

    आग लगने के पौने घंटा बाद पहुंचा दमकल

    आग लगने की घटना सुबह करीब साढ़े नौ बजे की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि घटना का पता चलते ही लोगों ने अग्निशमन को काल करना शुरू कर दिया। लेकिन अग्निशमन दस्ता पौने घंटा विलंब से पहुंचा। अग्निशमन विभाग के अनुसार मामले की जानकारी करीब 10 बजे मिली। इसके बाद मौके पर दमकल की गाड़ियां भेजी गईं। सेक्टर छह स्थित दमकल केंद्र से घटनास्थल की दूरी करीब ढाई किलोमीटर की है।

    इस दूरी को तय करने में करीब 15 मिनट का समय लगा। दमकलकर्मियों ने बताया कि अपार्टमेंट के आसपास की सड़क पर उनका सामना जाम से हुआ। जब वे किसी तरह अपार्टमेंट के सामने पहुंचे तो सोसाइटी परिसर में उनकी ब्रांटो स्काई लिफ्ट नहीं पहुंच पाई। क्योंकि सोसाइटी का प्रवेश द्वार छोटा था, जहां ब्रांटो प्रवेश नहीं कर सका। बाद में सर्विस लेन से ब्रांटो से लैडर फ्लैट तक पहुंचाई गई।

    दमकलकर्मियों ने बताया कि सोसाइटी में फायर शेफ्टी के नाम पर केवल ढांचा खड़ा किया गया है। सोसाइटी को फायर एनओसी नहीं मिली है। हाइड्रेंट से जुड़ी पूरी प्रणाली काम नहीं कर रही थी। पानी भी नहीं था। अग्निशमन प्रणाली के काम नहीं करने के कारण पाइपलाइन को जमीन से नौवीं मंजिल पर ले जाया गया। इतनी ऊंचाई पर प्रेशर सही से काम नहीं करता। यदि फायर शेफ्टी काम कर रही होती तो नीचे से पाइप को उपर ले जाने की जरुरत नहीं पड़ती।

    सोसाइटी के लोग भी उठा रहे प्रबंधन पर सवाल

    आग से निपटने के लिए जरुरी इंतजाम नहीं होने पर सोसाइटी के लोगों ने भी प्रबंधन पर सवाल खडे किए। इनका कहना है कि कोई ड्रिल नहीं होती। फायर अलार्म काम नहीं करता। यही सब कारण है कि फायर एनओसी भी सोसाइटी को नहीं मिला है। आग से बचाव के नाम पर केवल अग्निशमन सिलेंडर हैं।

    तीसरा पक्ष भयावह

    लोगों का कहना है कि जब यश बालकनी से बचाओ बचाओ की आवाज लगा रहे थे, तब कई लोग मोबाइल से वीडियो बना रहे थे। उनमें मदद की तत्परता नहीं दिखी। इस बीच कुछ लोग चिल्लाते चिल्लाते बाहर गए और मदद की गुहार लगाई। सामने से गुजर रहे डीटीसी बस के चालक व कुछ मोटरसाइकिल सवार रुके और मदद के लिए परिसर में दाखिल हुए। इस बीच आसपास की सोसाइटी में काम करने वाले लोग पहुंचे और सीधा उपरी तल का रुख किया।

    लोगाें ने आरोप लगाया कि बाहरी लोग जो बचाव में हाथ बटाना चाहते थे, उन्हें भी सुरक्षा के नाम पर परिसर में प्रवेश से राेकने की कोशिश की गई। लोगों ने यह भी कहा कि सोसाइटी के लोगाें को तत्परता दिखाते हुए जमीन पर गद्दे बिछाने चाहिए ताकि चोट कम से कम लगे। लेकिन इस बारे में सोचा तक नहीं गया। कम से कम चादर के सहारे ही एक अवरोध बनाया जाना चाहिए ताकि वे सीधे जमीन पर नहीं गिरें।

    किसी के पास नहीं है सेफ्टी नेट

    दमकलकर्मी जब बचाव के लिए पहुंचे तब उनके पास सेफ्टी नेट नहीं था। दमकलकर्मियों ने बताया कि बहुमंजिला इमारतों में आग से बचाव या किसी के फंसे होने की स्थिति में सेफ्टी नेट बहुत कारगर चीज है। लेकिन दिल्ली में अग्निशमन विभाग ने इसकी जरुरत नहीं समझी है। दमकलकर्मियों ने यह भी कहा कि सोसाइटी प्रबंधन को भी आपात स्थिति में इस्तेमाल के लिए सेफ्टी नेट अपने पास रखना चाहिए, जो उनके पास नहीं था।

    दमकल कर्मियों ने बताया कि गुरुग्राम में डीएलएफ की एक सोसाइटी में हर तीसरी मंजिल पर एक सेफ्टी नेट लगी है ताकि यदि कोई छलांग लगाए तो वह सीधा नीचे नहीं गिरे और नेट से उसका बचाव हो जाए। इस तरह की व्यवस्था दिल्ली की भी बहुमंजिला इमारतों में होनी चाहिए। सेफ्टी नेट का कब और कैसे इस्तेमाल करना है, इसके लिए सोसाइटी के गार्डों को प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए।

    आग नहीं लगे, इसके लिए क्या करें

    दिल्ली कालेज आफ फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग के निदेशक जिले सिंह लाकड़ा का कहना है कि आग लगने की एक बड़ी वजह बिजली के उपकरणों की गुणवत्ता से समझौता या तय लोड से अधिक बिजली की खपत करना है। आग नहीं लगे इसके लिए कुछ सावधानियां बरतें और अगर आग लग जाए तो कुछ बातों का ध्यान रखें।

    आग से बचाव के लिए उपाय

    • बिजली के उपकरणों के तय मानक से अधिक का इस्तेमाल नहीं करें। मसलन एक प्लग में एक ही उपकरण का इस्तेमाल करें। कई लोग एक प्लग में तीन शाकेट लगाकर तीन उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं।
    • घर की साजसज्जा में ज्वलनशील पदार्थ का इस्तेमाल नहीं करें। फालतू के सामान को घर में एकत्रित न होने दें।
    • समय समय पर आग से बचाव के तरीकों का प्रशिक्षण लें। निकास के रास्ते को हमेशा अवरोध मुक्त रखें।

    आग लगने की स्थिति में कैसे करें बचाव

    • आग लग जाए तो सबसे पहले घर के मेन स्विच को बंद करें। इसके बाद ही आग बुझाने के लिए पानी का इस्तेमाल करें।
    • यदि अग्निशन सिलेंडर हो तो उसका इस्तेमाल करें, यदि नहीं हो तो पायदान जैसी भारी चीज का इस्तेमाल कर आग पर चोट मारें, इससे आग का आक्सीजन से संपर्क टूटेगा और आग बुझेेगी।
    • यदि आप आग में फंस जाएं तो सूती के मोटे कपड़े को पानी में डूबोकर उससे शरीर को ढक लें और आग से बाहर निकलें।