Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    साल में सिर्फ 3% वक्त ही मिलती है साफ हवा और सही तापमान, हालत चिंताजनक; पढ़ें रिपोर्ट

    Updated: Tue, 17 Jun 2025 12:57 PM (IST)

    दिल्ली में वायु प्रदूषण और गर्मी के कारण सुरक्षित जीवन के लिए उपलब्ध समय कम हो रहा है। सीईपीटी विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार साल में केवल 3% घंटे ही स्वच्छ हवा और आरामदायक तापमान एक साथ मिलते हैं। बेंगलुरु और अहमदाबाद की स्थिति बेहतर है जबकि चेन्नई दिल्ली के समान है। अध्ययन इंडोर वातावरण को फिर से डिजाइन करने की बात करता है और पीईसीएस को समाधान बताता है।

    Hero Image
    साल में सिर्फ 259 घंटे ही मिल पता है थर्मल कंफर्ट।

    संजीव गुप्ता, जागरण, नई दिल्ली : दिल्ली में वायु प्रदूषण और बढ़ते तापमान का प्रभाव अब सुरक्षित और आरामदायक जीवन के लिए उपलब्ध समय को तेजी से कम कर रहा है।

    सीईपीटी विश्वविद्यालय और रेस्पिरर लिविंग साइंसेस का एक नया अध्ययन दर्शाता है कि दिल्ली में प्रति वर्ष लगभग 2,210 घंटे ऐसे होते हैं, जब बाहरी तापमान 18 से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।

    जो थर्मल कंफर्ट (थर्मल आराम) की श्रेणी में आते हैं, लेकिन इन घंटों में से 1,951 घंटे (88 प्रतिशत) ऐसे होते हैं जब वायु गुणवत्ता खराब (एक्यूआई 150 से अधिक) होती है।

    साल में तीन प्रतिशत वक्त ही ऐसा, जब मिलता है थर्मल कंफर्ट 

    इसका अर्थ है कि पूरे साल में केवल 259 घंटे या कुल वार्षिक समय का लगभग तीन प्रतिशत ऐसा वक्त है, जब साफ हवा और आरामदायक तापमान एक साथ उपलब्ध होता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जोकि सुरक्षित और प्रभावी प्राकृतिक वेंटिलेशन के लिए आवश्यक है। यह अध्ययन 8 जून 2025 को इंटरनेशनल सोसायटी आफ इंडोर एयर क्वालिटी द्वारा आयोजित हेल्दी बिल्डिंग कांफ्रेंस के दौरान प्रस्तुत किया गया।

    अध्ययन में शामिल अन्य शहरों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही। बेंगलुरु में 8,100 से अधिक घंटे ऐसे दर्ज किए गए जब वायु गुणवत्ता स्वीकार्य थी और थर्मल कंफर्ट के दौरान खराब एक्यूआई का ओवरलैप कम रहा।

    अहमदाबाद भले ही अधिक गर्म रहा हो, लेकिन दिल्ली की तुलना में बेहतर स्थिति रही। वहीं चेन्नई की स्थिति दिल्ली जैसी रही, जहां 88 प्रतिशत आरामदायक घंटे भी वायु प्रदूषण से प्रभावित पाए गए।

    इंडोर डिजाइन और उसे मैनेज करने पर देना होगा ध्यान

    अध्ययन यह तर्क देता है कि हमें यह दोबारा सोचने की आवश्यकता है कि इंडोर वातावरण को कैसे डिजाइन और मैनेज किया जाए। मौजूदा इमारतें चाहे एयर-कंडीशंड हो या बिना फिल्टर वाली प्राकृतिक वेंटिलेशन पर आधारित, अब शहरी भारत की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। 

    इसके उत्तर में, अध्ययन व्यक्तिगत पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली (पीईसीएस) को एक समाधान के रूप में प्रस्तावित करता है, जो स्थानीय स्तर पर थर्मल कंफर्ट, फिल्टर की गई वेंटिलेशन पर स्तरीय नियंत्रण देती है।

    ये प्रणाली विशेष रूप से मिश्रित-मोड भवनों के लिए उपयुक्त है, जो समय, मौसम और बाहरी परिस्थितियों के अनुसार प्राकृतिक और यांत्रिक वेंटिलेशन के बीच स्विच करती हैं।

    पीईसीएस से होगी ऊर्जा बचत और मिलेंगा थर्मल कंफर्ट

    भवन विज्ञान क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रो. रावल कहते हैं, पीईसीएस (वेंटिलेशन) अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के स्वास्थ्य और ऊर्जा प्रदर्शन में योगदान देती है।

    भारत के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में हो रहे सुधारों के साथ, यह संभावना बढ़ रही है कि जब बाहरी परिस्थितियां अनुमति दें, तो निवासी प्राकृतिक वेंटिलेशन का उपयोग कर सकें।

    फिर भी, मौजूदा परिस्थितियों में भी पीईसीएस पर्याप्त ऊर्जा बचत प्रदान करती है जो थर्मल कंफर्ट सुनिश्चित करती है, स्वास्थ्य की सुरक्षा करती है और ऊर्जा मांग को घटाती है।

    मॉडलिंग में ऊर्जा खपत को लेकर लेकर मिला महत्वपूर्ण डेटा

    शोध टीम द्वारा किए गए माॅडलिंग से यह भी पता चला कि पीईसीएस का उपयोग करने वाले भवन पारंपरिक एयर-कंडीशंड सिस्टम की तुलना में वेंटिलेशन से संबंधित ऊर्जा खपत में प्रमुख बचत कर सकते हैं। जो चेन्नई में 72 प्रतिशत, अहमदाबाद में 70 प्रतिशत और दिल्ली में 68 प्रतिशत तक।

    प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए, अध्ययन ने व्यक्तिगत वायु गुणवत्ता के अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लेख किया और प्रति व्यक्ति 7.0 से 15.0 लीटर प्रति सेकंड की प्रभावी वेंटिलेशन दरों का मॉडलिंग किया।

    जो स्वास्थ्य और आराम मानकों के अनुरूप हैं। रेस्पिरर लिविंग साइंसेज के संस्थापक सीईओ रौनक सुतारिया कहते हैं, “हम केवल आराम को फिर से परिभाषित नहीं कर रहे। हम यह कल्पना कर रहे हैं कि कम-ऊर्जा, व्यक्ति-केंद्रित भवन प्रदूषित और गर्म होते शहरों में कैसे दिख सकते हैं।

    टेम्पोरल मिक्स्ड बिल्डिंग्स पर भी अध्ययन में हुई बात

    अध्ययन में “टेम्पोरल मिक्स्ड-मोड बिल्डिंग्स” की अवधारणा भी प्रस्तुत की गई है। ऐसे भवन जो बाहरी परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित होते हैं।

    ये भवन सेंसर-आधारित फीडबैक के साथ स्मार्ट वेंटिलेशन और फ़िल्ट्रेशन रणनीतियों को मिलाकर कार्य करते हैं, जिससे निवासी बिना अनावश्यक ऊर्जा व्यय के स्वच्छ हवा में सांस ले सकते हैं।

    यह भी पढ़ें: Weather Update: दिल्ली-NCR में बदला मौसम का मिजाज, गुरुग्राम-रेवाड़ी में शुरू हुई बारिश; गर्मी से मिली राहत