Delhi Pollution: CPCB का AQI डेटा सही या गलत? उलझा लोगों का दिमाग; पढ़िए क्या है आंकड़ों की हकीकत
Delhi Air Pollution रविवार को दिल्ली समेत एनसीआर के सभी शहरों की हवा इस कदर प्रदूषित रही थी कि लोग बेचैन हो गए। इस दिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एक्यूआई 441 बताया। सोमवार को स्थिति और बिगड़ी। स्वास्थ्य के आपातकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। इस बीच एक्यूआई के आंकड़ों पर सवाल उठने लगे। सीपीसीबी का डेटा हकीकत से मैच नहीं हो रहा था।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। रविवार को घने कोहरे और स्माग की चादर में एनसीआर कुछ इस कदर लिपटा था कि लोग बैचेन से हो रहे थे, लेकिन सीपीसीबी का एक्यूआई डेटा था सिर्फ 441, सोमवार को स्थिति और बिगड़ी।
रियल टाइम से दूर है सीपीसीबी का AQI डाटा
लोग आंखों में जलन, सीने में चुभन एवं सिर में दर्द की शिकायत भी कर रहे थे मगर सीपीसीबी का एक्यूआई डेटा था केवल 494। आंकड़ों और हकीकत में तालमेल ही नहीं बैठ रहा था। जबकि इन दोनों ही दिन स्विस कंपनी आइक्यू एयर पर एक्यूआई डेटा क्रमशः 1121 और 1200 तक चला गया था।
दिल्ली में प्रदूषण के बीच मास्क लगाकर काम पर जाती महिलाएं।
मंगलवार को मिली थोड़ी राहत
मंगलवार को मौसम की कृपा से थोड़ी राहत मिली और लोगों ने भी अच्छा सा महसूस किया, लेकिन सीपीसीबी का एक्यूआई डेटा तब भी 460 रहा यानी श्रेणी गंभीर या अति गंभीर बनी रही। इसके विपरीत आइएक्यू एयर 350 डेटा दिखा रहे थे। अंतर साफ देखा जा सकता है।
सीपीसीबी का डेटा हकीकत से मैच नहीं हो रहा था और आइक्यू एयर का डेटा वास्तविकता बयां करता लग रहा हालांकि सीपीसीबी का एक तर्क यह भी रहता है कि आइक्यू एयर आंकड़ों को बढ़ा चढ़ाकर दिखाता है, लेकिन आंकड़ो और हकीकत की जुबानी सच्चाई की कहानी खुद ब खुद बयां हो रही है।
एनसीआर में कितने मॉनिटरिंग स्टेशन हैं?
हैरानी की बात यह कि एनसीआर में करीब 40 मॉनिटरिंग स्टेशन हैं। फिर भी आंकड़ों में सटीकता का अभाव दिखाई देता है। जबकि एक्यूएयर सहित अन्य मोबाइल एप भी आंकड़े सीपीसीबी के ही इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उनका डेटा कहीं 'रियल टाइम' प्रतीत होता है। विशेषज्ञों का साफ कहना है कि आंकड़ों की इस भिन्नता को दूर किया जाना चाहिए।
AQI के आंकड़े पर उठ रहे सवाल
ध्यान रहे कि सीपीसीबी पहले ही मान चुका है की वह 5०० से से ज्यादा के आंकड़े नहीं दिखाता है। लेकिन मंगलवार को जिस तरह आम नागरिक ने महसूस किया और आंकड़े आये उसके बाद यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है की क्या प्रदूषण को सही तरीके से मापा भी जा रहा है या नहीं।
नई दिल्ली के एक पार्क में प्रदूषण के कारण मुंह पर मास्क लगाकर जाते लोग। फोटो- ध्रुव कुमार
वैसे भी सीपीसीबी को औसत दिखाने की बजाए रियलटाइम पर फोकस करना चाहिए ताकि जनता उसी अनुरुप फैसला कर सके और अपने कार्य कर सके।
AQI के आंकड़े पर क्या बोले सीपीसीबी के निदेशक?
देखिए, सीपीसीबी का एक्यूआई आंकड़ा एनालाइजर से तय होता है जबकि एक्यूएयर और अन्य मोबाइल एप का सेंसर आधारित होता है। सीपीसीबी 24 घंटे का औसत आंकड़ा रिलीज करता है, लेकिन मोबाइल एप का रियल टाइम होता है। रियल टाइम डेटा बदलता रहता है और सही तस्वीर नहीं दिखाता जबकि 24 घंटे का औसत डेटा एक ट्रेंड बताता है। इसीलिए दोनों में भिन्नता नजर आती है। इसे आप गलत नहीं कह सकते। -डॉ दीपांकर साहा, पूर्व अपर निदेशक, सीपीसीबी
अलग-अलग इलाकों के AQI में अंतर
स्थान | दिन | सीपीसीबी | आइक्यू एयर |
मंदिर | मार्ग | 470 | 1121 |
मुंडका | रविवार | 482 | 1200 |
गुरुग्राम | रविवार | 356 | 780 |
गाजियाबाद | रविवार | 362 | 390 |
मंदिर मार्ग | मंगलवार | 441 | 349 |
मुंडका | मंगलवार | 463 | 333 |
गुरुग्राम | मंगलवार | 391 | 256 |
गाजियाबाद | मंगलवार | 402 | 250 |
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