दिल्ली AIIMS से नजदीकी मेट्रो स्टेशनों तक फीडर बसें चलाने की मांग, बेहतर आवागमन के साथ जाम भी होगा कम
दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी DMRC) के प्रबंध निदेशक विकास कुमार को पत्र लिखकर संस्थान के आसपास मौजूद मेट्रो स्टेशनों से एसी इलेक्ट्रिक मेट्रो फीडर बस चलाने की मांग की है। ताकि मेट्रो स्टेशनों के पास से मरीज आसानी से एम्स के विभिन्न सेंटरों तक पहुंच सकें। इससे एम्स में वाहनों का दबाव भी कम होगा।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी, DMRC) के प्रबंध निदेशक विकास कुमार को पत्र लिखकर संस्थान के आसपास मौजूद मेट्रो स्टेशनों से एसी इलेक्ट्रिक मेट्रो फीडर बस चलाने की मांग की है। ताकि मेट्रो स्टेशनों के पास से मरीज आसानी से एम्स के विभिन्न सेंटरों तक पहुंच सकें। इससे एम्स में वाहनों का दबाव भी कम होगा।
एम्स के मीडिया डिविजन की चेयरपर्सन डॉ. रीमा दादा ने कहा कि एम्स में प्रतिदिन भारी संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। हर मरीज के साथ एक से दो स्वजन भी होते हैं।
रोजाना 40-50 हजार लोग आते हैं एम्स
मरीजों, उनके स्वजन, कर्मचारियों इत्यादि को मिलाकर एम्स में प्रतिदिन 40 हजार से 50 हजार लोगों का आवागमन होता है। इससे एम्स में वाहनों का दबाव भी अधिक है। इस वजह से एम्स के परिसर में भी यातायात संबंधी समस्या होने लगी है।
मेट्रो-एम्स के बीच बेहतर हो सकता है आवागमन
एम्स के मुख्य परिसर के साथ में येलो लाइन का एम्स मेट्रो स्टेशन है। इसके अलावा एम्स से थोड़ी दूरी पर पिंक लाइन का साउथ एक्सटेंशन मेट्रो स्टेशन भी है। यदि लास्ट माइल कनेक्टिविटी की सुविधा बेहतर हो तो मेट्रो स्टेशनों से एम्स के विभिन्न सेंटर के बीच आवागमन बेहतर हो सकती है।
तीन हिस्सों में बंटा है एम्स परिसर
उन्होंने बताया कि एम्स का परिसर तीन हिस्सों में बंटा है। एक एम्स का मुख्य परिसर है। दूसरा मस्जिद मोठ स्थित ओपीडी ब्लॉक, मातृ एवं शिशु ब्लाक, राष्ट्रीय वृद्धजन केंद्र और सर्जरी ब्लॉक है। इसके नजदीक ही डेंटल सेंटर भी है। इस वजह से मस्जिद मोड के पास भी मरीजों का दबाव बढ़ गया है।
एम्स के गेट नंबर-1 से मस्जिद मोठ की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है। साउथ एक्सटेंशन मेट्रो स्टेशन से मस्जिद मोठ की दूरी भी करीब एक से डेढ़ किलोमीटर है। इसके अलावा एम्स का ट्रॉमा सेंटर भी मेट्रो स्टेशनों से थोड़ी दूरी पर है।
मेट्रो स्टेशनों से मस्जिद मोठ और ट्रॉमा सेंटर के बीच लास्ट माइल कनेक्टिविटी अच्छी नहीं है। यदि मेट्रो स्टेशनों से इलेक्ट्रिक फीडर बसों की सुविधा होगी तो मरीज और कर्मचारी एम्स आने के लिए आटो, कैब इत्यादि वाहनों का इस्तेमाल ज्यादा नहीं करेंगे।
हालांकि, मेट्रो फीडर बसों के संचालन की कमान अब डीएमआरसी के हाथ में नहीं है। डीएमआरसी ने इसे दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग को सौंप दिया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।