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कोरोना के बाद अचानक मौतों पर हुआ अध्‍ययन: सांस रुकने से हुईं 22 प्रतिशत मौतें, प्रदूषण भी एक कारण

एम्स के फारेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता ने अचानक हुई मौत को लेकर बताया कि करीब 22 प्रतिशत मामलों में सांस रुकने से लोगों की अचानक जान गंवाई। ऐसे मामलों के लिए प्रदूषण को भी एक कारण बताया। एम्स की स्टडी में देखा जा रहा है कि मौत का कारण कोरोना के बाद की समस्याएं या टीके का किसी तरह दुष्प्रभाव तो नहीं है।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Shyamji Tiwari Published: Fri, 23 Feb 2024 10:11 PM (IST)Updated: Fri, 23 Feb 2024 10:34 PM (IST)
कोरोना के बाद अचानक मौतों पर हुआ अध्‍ययन

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना के बाद से विभिन्न समारोहों में नाचते गाते या जिम में व्यायाम करने के दौरान अचानक मौत के मामले सुर्खियों में रहे हैं। ऐसे मामलों में अक्सर वीडियो देखकर मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट (अचानक हृदय गति बंद हो जाना) मान लिया जाता है। बहुत हद तक यह बात सही भी है।

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प्रदूषण भी मौत का एक कारण

हालांकि, एम्स के फारेंसिक विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन की प्राथमिक रिपोर्ट में पाया गया है कि ऐसे करीब 22 प्रतिशत मामलों में सांस रुकने से लोगों की अचानक जान गंवाई। एम्स के फारेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने ऐसे मामलों के लिए प्रदूषण को भी एक कारण बताया।

डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि कोरोना के बाद युवाओं के अचानक मौत के मामले बढ़ने पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने इस पर एक शोध करने की जिम्मेदारी दी है। जिसमें यह देखा जा रहा है कि मौत का कारण कोरोना के बाद की समस्याएं या टीके का किसी तरह दुष्प्रभाव तो नहीं है। इस अध्ययन की प्राथमिक रिपोर्ट में कोरोना के बाद की समस्याओं या टीके के कारण मौत की पुष्टि नहीं हुई। इसलिए टीके से जोखिम नहीं है।

अचानक मौत के पुरुष अधिक शिकार

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष यह अध्ययन शुरू किया गया था। 18 से 65 वर्ष की उम्र के 132 मृतकों पर अध्ययन किया गया है, जिनकी मौत अचानक हुई थी। इसमें 18 से 45 वर्ष की उम्र के युवा अधिक (71) थे और 46 से 65 वर्ष की उम्र के 37 मृतकों के शव थे। इस अध्ययन में 87 प्रतिशत पुरुष व 13 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। यह आंकड़े बताते हैं कि पुरुष अचानक मौत के शिकार अधिक हुए।

अध्ययन में शामिल शवों का वर्चुचल अटोप्सी (डिजिटल एक्स-रे व सीटी स्कैन कर पोस्टमार्टम), परंपरागत तरीके से पोस्टमार्टम व मालिक्यूलर आटोप्सी कर मौत के कारणों का पता लगाने कोशिश की गई। जिसमें 49.24 प्रतिशत मरीजों की मौत अचानक हार्ट अटैक व कुछ मरीजों की मौत हेमरेज होने के कारण हुई थी। इस तरह हृदय रक्तवाहिनियों की बीमारियों से 52.27 प्रतिशत मरीजों की मौत हुई।

अचानक सांस का रुक जाना 

इसके बाद अचानक मौत का दूसरा बड़ा कारण अचानक सांस रुक जाना पाया गया। ऐसे 9.09 प्रतिशत मामलों में पेट में मौजूद भोजन के अंश उल्टी के दौरान सांस की नली में जाने से सांस बंद हो गई थी। वहीं 10.60 प्रतिशत मामलों में निमोनिया के कारण फेफड़े ने काम करना बंद कर दिया। इस वजह से सांस बंद हो गई। 2.27 प्रतिशत मामलों में सांस की कुछ अन्य बीमारियां पाई गईं।

उन्होंने बताया कि अध्ययन में उन्हीं मृतकों के शवों को शामिल किया गया था जिन्हें पहले से हृदय, सांस, इत्यादि की बीमारी होने की जानकारी नहीं थी। डॉ. सुधीर गुप्ता ने कहा कि प्रदूषण से गंभीर बीमारियां होती हैं लेकिन उसके कारण होने वाली मौतें रिपोर्ट नहीं की जाती हैं। सांस की बीमारी के कारण होने वाली अचानक मौत का एक वजह प्रदूषण भी हो सकता है।

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