निर्जलीकरण से हो सकती है किडनी व दिल को परेशानी, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय
आकाश हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डा. विक्रमजीत ङ्क्षसह ने बताया कि तापमान बढऩे के साथ निर्जलीकरण की समस्या आम है। पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन नहीं करना इसका प्रमुख कारण है। लंबे समय तक यदि निर्जलीकरण की समस्या बनी रहे तो किडनी पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। तापमान में हुए इजाफे के कारण निर्जलीकरण की समस्या के साथ खांसी-जुकाम व कमजोरी की समस्या सामने आने लगी है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार मेडिसिन विभाग में खांसी-जुकाम के मरीजों की तदाद अचानक बढ़ गई है। आकाश हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डा. विक्रमजीत ङ्क्षसह ने बताया कि तापमान बढऩे के साथ निर्जलीकरण की समस्या आम है। पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन नहीं करना इसका प्रमुख कारण है। लंबे समय तक यदि निर्जलीकरण की समस्या बनी रहे तो किडनी पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
मणिपाल अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डा. अनुजा लाकड़ा ने बताया कि किडनी के साथ-साथ निर्जलीकरण के चलते यूरिन इंफेक्शन होने की संभावना भी बढ़ जाती है। असल में पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन नहीं करने के कारण यूरिन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में इकट्ठा होता है और एक ही जगह पर लंबे समय तक यूरिन के रहने के कारण संक्रमण की संभावना हो सकती है। डा. अनुजा बताती हैं कि अगर लंबे समय तक किसी व्यक्ति में निर्जलीकरण की समस्या बरकरार रहती है तो भविष्य में उसे उच्च रक्तचाप की समस्या भी हो सकती है। वहीं, कायाचिकित्सा की प्रोफेसर डा. रेखा फुल्ल बताती हैं कि लंबे समय तक निर्जलीकरण की समस्या दिल की बीमारी का भी कारण हो सकती है।
क्या है लक्षण :
डा. अनुजा ने बताया कि शरीर में नमक की मात्रा कम होने के कारण निर्जलीकरण की समस्या पैदा होती है। आंख, मुंह व जीभ का सूखापन, थकावट, पेशाब कम आना, पेशाब का रंग गहरा होना, पेशाब से अधिक बदबू होना, चक्कर आना, सिर घूमना व रक्तचाप स्तर में गिरावट इसके प्रमुख लक्षण है।
निर्जलीकरण से बचने के उपाय :
डा. रेखा फुल्ल बताती हैं कि आयुर्वेद में निर्जलीकरण की समस्या से बचने के लिए खट्टी चीजों के सेवन पर अधिक जोर दिया गया है। जैसे नींबू पानी, इमली का पानी, नारियल पानी, ओआरएस घोल आदि। इसके अलावा नागरमोथा, पित्तपापड़ा, खश, लाल चंदन, सुगंधबाला व सोंठ इन छह द्रव्य को उबालकर ठंडा कर पीने से निर्जलीकरण की समस्या का स्थायी निदान संभव है। डा. विक्रमजीत ङ्क्षसह ने बताया कि निर्जलीकरण की समस्या से बचने के लिए नियमित रूप से तीन लीटर पानी का सेवन अनिवार्य है। पानी के साथ-साथ लस्सी, जूस, मौसमी फल व सब्जियों का सेवन भी लाभदायक है। अभी ठंडी चीजों से परहेज करें, क्योंकि इसका सीधा असर फेफड़ों पर होता है। डा. विक्रमजीत ने बताया कि बीते कुछ दिनों में खांसी-जुकाम के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। विशेषकर अस्थमा के मरीज अभी सावधानी बरतें।
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