Updated: Fri, 09 May 2025 09:43 AM (IST)
पूर्वी दिल्ली के प्रियदर्शनी विहार में डीडीए ने अवैध लक्ष्मी नारायण मंदिर के एक हिस्से को दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर तोड़ा। स्थानीय लोगों ने विरोध किया और दिल्ली सरकार व डीडीए के खिलाफ नारे लगाए। विरोध के कारण कार्रवाई में देरी हुई। मंदिर पिछले दस वर्षों से सील था। मंदिर को बचाने के लिए महिलाओं ने हनुमान चालीसा का पाठ किया।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। दिल्ली में लक्ष्मी नगर विधानसभा क्षेत्र के प्रियदर्शनी विहार में बृहस्पतिवार को डीडीए ने अवैध रूप से बने लक्ष्मी नारायण मंदिर को एक हिस्सा तोड़ दिया। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर डीडीए ने यह कार्रवाई की है।
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वहीं, स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। दिल्ली सरकार, एलजी और डीडीए के खिलाफ नारेबाजी की। विरोध को देखते हुए पुलिस व अर्धसैनिक बल के जवान तैनात रहे। स्थानीय लोगों व पुलिस के बीच काफी नोकझोंक भी हुई। विरोध के चलते तीन घंटे की देरी से यह कार्रवाई शुरू हुई। यह मंदिर पिछले दस वर्षों से सील था।
इसके बाकी हिस्से को तोड़ने की कार्रवाई जारी रहेगी। मंदिर जाने के लिए तीन रास्ते हैं। दो रास्तों पर स्थानीय लोगों ने वाहनों को ऐसा खड़ा कर दिया कि जिससे डीडीए का बुलडोजर मंदिर तक पहुंच न सके।
महिलाओं ने दरवाजे पर किया हनुमान चालीसा का पाठ
वहीं, मौके पर चार बुलडोजर मंगवाए गए थे। तीसरे गेट से रास्ता संकरा है। एक ही बुलडोजर को मौके पर ले जाकर मंदिर का भवन तोड़ा गया। मंदिर तोड़े जाने की सूचना मिले ही हिंदूवादी नेता जय भगवान गोयल पहुंचे। मंदिर को बचाने के लिए महिलाओं ने दरवाजे पर हनुमान चालीसा का पाठ किया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रियदर्शनी विहार मे करीब 45 साल पहले यह मंदिर बनाया गया था। लोगों ने बताया कि यहां के स्थानीय निवासी वकील जेके मित्तल मंदिर के खिलाफ कोर्ट गए थे। वर्ष 2016 में कोर्ट के आदेश पर मंदिर को सील कर दिया गया था।
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डीडीए ने कहा कि जिस जगह पर अवैध मंदिर बनाया हुआ है वह नर्सरी स्कूल बनाने के लिए दी गई थी। यह जमीन 926 वर्गमीटर है। कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई की जा रही है। शुक्रवार को भी कार्रवाई जारी रहेगी। डीडीए ने यह भी कहा कि कुछ लोग इस मामले को राजनीतिक रंग दे रहे हैं जो की गलत है।
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