अपनी ही कुंआरी बेटी को तीन बार मां बनाने की कोशिश, इस गलती से खुला राज
कुंआरी बेटी से दो बार प्रसव कराने की कोशिश की गई, लेकिन वह गर्भावस्था को पूरा नहीं कर पाई। इस बार भी उसे नई जगह ले जाया गया, जहां से वह भाग गई।
नई दिल्ली (जेएनएन)। एक किशोरी (16) से उसके माता-पिता द्वारा सरोगेसी (किराए की कोख) कराने का मामला सामने आया है। किशोरी ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) में याचिका दायर कर कहा है कि वह अभिभावकों के साथ नहीं रहना चाहती है। सीडब्ल्यूसी में सुनवाई के दौरान पीड़िता ने कहा कि वह सरोगेसी मदर नहीं बनना चाहती है।
मूलरूप से मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) निवासी पीड़िता करीब ढाई साल से पूर्वी दिल्ली के सोनिया विहार में परिवार के साथ रह रही है। उसने आठवीं तक पढ़ाई की है। वह और आगे पढ़ना चाहती है।
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सीडब्ल्यूसी में सुनवाई के दौरान पीड़िता ने कहा कि अभिभावक दो साल से उससे यह काम करवा रहे हैं। उसे हर बार नई जगह ले जाया जाता है।
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दो बार प्रसव कराने की कोशिश की गई, लेकिन वह गर्भावस्था को पूरा नहीं कर पाई। इस बार भी उसे नई जगह ले जाया गया, जहां से वह भाग आई और मदद के लिए चाइल्ड कमेटी में याचिका दायर की। कमेटी ने किशोरी को नारी निकेतन भेज दिया है। उसका मेडिकल कराने का भी निर्देश दिया है।
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जानें क्या है सरोगेसी
सरोगेसी एक ऐसा जरिया है जो किसी को भी संतान की खुशी हासिल करने में मदद करता है। इस लेटेस्ट टेक्निक को अपनाकर भी माता-पिता होने का सुख भोग सकते हैं।
सरोगेसी प्रक्रिया के तहत एक महिला और एक दंपति के बीच का एक अनुबंध होता है, जो अपना खुद का बच्चा चाहता है। सामान्य शब्दों में अगर कहे तो सरोगेसी का मतलब है कि बच्चे के जन्म तक एक महिला की ‘किराए की कोख’।
जो महिला किसी और दंपति के बच्चे को अपनी कोख से जन्म देने को तैयार हो जाती है उसे ही ‘सरोगेट मदर’ के नाम से जाना जाता है।
ट्रेडिशनल सरोगेसी
इस सरोगेसी में सबसे पहले पिता के शुक्राणुओं को एक अन्य महिला के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है, जिसमें जैनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है।
जेस्टेंशनल सरोगेसी
इसमें माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस विधि में बच्चे का जैनेटिक संबंध माता-पिता दोनों से होता है।
भारत में सरोगेसी के नियम
नि:संतान लोगों के लिए वरदान कहलाने वाली सरोगेसी क्या है। 2016 सितंबर महीने में सरकार ने उस बिल को मंजूरी दे दी जिसमें किराये की कोख (सरोगेसी) वाली मां के अधिकारों की रक्षा के उपाय किए गए हैं। साथ ही सरोगेसी से जन्मे बच्चों के अभिभावकों को कानूनी मान्यता भी देने का प्रावधान है।
बता दें कि कैबिनेट से पास सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2016 में यह साफ है कि अविवाहित पुरुष या महिला, सिंगल, लिव-इन रिलेश्नशिप में रहने वाले जोड़े और समलैंगिक जोड़े भी अब सरोगेसी के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। वहीं, अब सिर्फ रिश्तेदार में मौजूद महिला ही सरोगेसी के जरिये मां बन सकती है।
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