Delhi Crime: दिल्ली में फर्जी ट्रेडिंग गिरोह का पर्दाफाश, साइबर सेल की बड़ी कार्रवाई
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो फर्जी वेबसाइटों से लोगों को निवेश का लालच देकर ठगते थे। शिकायत मिलने पर पुलिस ने लुधियाना में छापा मारकर आरोपियों को पकड़ा और उनके पास से कई मोबाइल और बैंक खाते बरामद किए।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल की टीम ने फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफार्म के जरिये देशभर में सैकड़ों लोगों से सौ करोड़ से अधिक की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने साइबर गिरोह के चार प्रमुख आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
ये गिरोह इंटरनेट मीडिया और फर्जी निवेश वेबसाइटों के माध्यम से लोगों को अपने जाल में फंसाकर भारी रकम ठगता था। गिरफ्तार आरोपितों को पंजाब के लुधियाना से दबोचा गया, जिनकी पहचान सनी मिश्रा, कुलदीप कुमार, गौरव और सुमित प्रधान के रूप में हुई है।
पुलिस ने इनके कब्जे से सात मोबाइल फोन और 23 से अधिक जालसाजी में इस्तेमाल किए गए बैंक खाते और भारी मात्रा में डिजिटल और बैंकिंग डेटा बरामद किया गया है।
उपायुक्त आदित्य गौतम के मुताबिक, इस कार्रवाई की शुरुआत दिल्ली के एक व्यवसायी की शिकायत से हुई, जिसे फर्जी वेबसाइट fxprovip.com के जरिए 48.35 लाख की ठगी का शिकार बनाया गया था।
यह शिकायत दिल्ली क्राइम ब्रांच को दी गई, जिसके आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। शिकायतकर्ता को सबसे पहले एक महिला ने फेसबुक मैसेंजर पर संपर्क किया, जो बाद में वाट्सएप पर बातचीत कर उसे फर्जी निवेश योजना में फंसाने में सफल रही।
जांच के दौरान एसीपी अनिल शर्मा की देखरेख में और निरीक्षक संदीप सिंह की निगरानी में गठित टीम ने डिजिटल सुरागों के आधार पर 16 जुलाई को लुधियाना (पंजाब) में छापा मारकर चारों जालसाजों को गिरफ्तार किया।
ऐसे करते थे ठगी
पूछताछ में पता चला कि जालसाज फर्जी ट्रेडिंग वेबसाइट बनाकर निवेश का लालच देते थे। ठगी के बाद राशि को आपराधिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होने वाले खातों के जरिए इधर-उधर कर निकाल लेते थे।
ये खाते ऐसे व्यक्तियों के नाम पर खोले जाते थे जो आर्थिक रूप से कमजोर और डिजिटल धोखाधड़ी की प्रकृति से अनजान थे।
सनी मिश्रा के बैंक खाते में शिकायतकर्ता से 6.2 लाख की राशि ट्रांसफर हुई थी। कुलदीप कुमार ने कोटक बैंक में "एपेक्स मार्ट" नामक फर्जी संस्था के खाते के जरिये छह लाख की राशि प्राप्त की।
गौरव ने कई फर्जी खाते खुलवाए जबकि सुमित प्रधान, जो एक प्रतिष्ठित बैंक में काम करता है, उसने सत्यापन नियमों को दरकिनार करते हुए खातों की नकद निकासी में मदद की।
देशभर में फैला साइबर धोखाधड़ी का नेटवर्क
जांच में पता चला कि आरोपित नेटवर्क से जुड़े 30 से अधिक बैंक खाते देशभर के साइबर अपराध मामलों में शामिल हैं। अकेले एक खाता (संख्या 10198001048) ही पांच राज्यों (कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और दिल्ली) की 22 एफआइआर में नामजद है।
यह खाते फर्जी निवेश, फिशिंग और डिजिटल ठगी जैसे मामलों से जुड़े हैं। वाट्सएप डेटा की जांच से 24 अन्य संदिग्ध खातों की पहचान हुई है जिनकी पुष्टि की जा रही है।
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