शेयर बाजार में निवेश के नाम पर कारोबारी से छह करोड़ ठगने वाले गिरफ्तार, मुहैया कराते थे बैंक खाते
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है। ये सदस्य साइबर सिंडिकेट को खाते उपलब्ध कराते थे। आरोपियों ने एक व्यापारी से छह करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी। पुलिस अब गिरोह के मुख्य आरोपियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने उच्च रिटर्न वाली शेयर बाजार योजनाओं में निवेश करवा एक व्यापारी से छह करोड़ की धोखाधड़ी करने में शामिल एक साइबर सिंडिकेट से जुड़े दाे सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है।
दोनों ने साइबर सिंडिकेट को खाते उपलब्ध कराए थे। इनसे पूछताछ कर पुलिस गिरोह के मुख्य आरोपियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने उन्हें पकड़ने की कोशिश करेगी।
डीसीपी आदित्य गौतम के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आरोपी खाताधारकों के नाम कुलवंत सिंह (बिजनौर) और देवेंद्र सिंह (उधम सिंह नगर, उत्तराखंड) है। 17 अप्रैल को नई दिल्ली जिले में दर्ज साइबर ठगी के मामले में दोनों वांछित थे।
ठगी की रकम में 20 लाख अखिल भारतीय गरीब जन सेवा ट्रस्ट के नाम से बैंक आफ बड़ौदा खाते और बाकी रकम 29 अन्य खातों में मंगाए गए।
ट्रस्ट को उप-पंजीयक के समक्ष एक गैर सरकारी संगठन के रूप में पंजीकृत किया गया था और बैंकिंग कार्यों के लिए ट्रस्ट के नाम पर एक चालू खाता खोला गया था। यह खाता राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर 10 शिकायतों से जुड़ा पाया गया।
एसीपी रमेश लांबा व इंस्पेक्टर व इंस्पेक्टर मंजीत कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया। साइबर सिंडिकेट को इन दोनों ने खाते उपलब्ध कराए, जिससे पीड़ित के धन को कई माध्यमों से डायवर्ट और लाॅन्ड्रिंग करने में मदद मिली।
पीड़ित को आईपीओ फंडिंग और उच्च-रिटर्न वाली शेयर बाजार योजनाओं के झूठे वादों का लालच देकर, सिंडिकेट ने ठगी की। पुलिस अधिकारी का कहना है कि पीड़ित से इंटरनेट मीडिया और वाट्सएप के माध्यम से संपर्क किया गया।
विश्वास में लेने के बाद उन्हें सीबीसीएक्स जैसे नकली ट्रेडिंग एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए प्रेरित किया गया और फिर उन्हें कुछ वाॅट्सएप समूहों में जोड़कर निवेश करने के लिए प्रेरित किया गया।
छह करोड़ निवेश करने पर पीड़ित ने जब सिंडिकेट के सदस्यों से कुछ रकम निकालने का अनुरोध किया तब धोखेबाजों ने पैसे निकालने देने से इनकार कर दिया। उन्हें तरह-तरह की बातें बता धमकियां दी गई। उनके पैसे को कई बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए गए।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि पंजीकृत ट्रस्ट का चालू खाता उपलब्ध कारने के लिए दोनों को प्रति माह 30 हजार और खाते के माध्यम से किए गए प्रत्येक लेनदेन पर पांच प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। पूछताछ में आरोपितों ने संगठित साइबर सिंडिकेट के लिए पेशेवर खाता प्रदाता होने की बात स्वीकार की।
उन्होंने उप-पंजीयक के पास एक ट्रस्ट (एनजीओ) पंजीकृत कराया और ट्रस्ट के नाम पर चालू खाते खोले ताकि स्वामित्व को छिपाया जा सके और खाते सिंडिकेट को उपलब्ध कराए जा सकें। उन्होंने चेकबुक, एटीएम कार्ड, सिमकार्ड और इंटरनेट बैंकिंग क्रेडेंशियल्स संचालकों को सौंप दिए।
उनके खाते देशभर में धोखाधड़ी की आय प्राप्त करने, उसे व्यवस्थित करने, प्रसारित करने, मास्टरमाइंड को बचाने और बड़े पैमाने पर उत्पीड़न को संभव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
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