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    7 साल की बच्ची से दुष्कर्म, बेटे के जुर्म की सजा पिता को भी; लंबे समय से फरार युवक की शर्मनाक हैवानियत

    By Ritika Mishra Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Fri, 28 Feb 2025 11:14 PM (IST)

    दिल्ली की एक विशेष अदालत ने 2019 में सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी युवक राजेंद्र उर्फ सतीश को फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही इस अपराध में उसका साथ देने वाले उसके पिता राम शरण को भी सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। अदालत ने इस मामले को दुर्लभतम मामला मानते हुए यह फैसला सुनाया है।

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    सात साल की बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी को मौत की सजा। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तीस हजारी स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत ने वर्ष 2019 में सात वर्षीय बच्ची के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले को दुर्लभतम मामला मानते हुए दोषी युवक राजेंद्र उर्फ ​​सतीश को फांसी की सजा सुनाई है।

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    पिता राम शरण को सश्रम कारावास

    वहीं, इस अपराध में अपराधी का साथ देने के लिए उसके पिता राम शरण को सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने राजेंद्र को आइपीसी की धारा 376-एबी (12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची से दुष्कर्म) और 302 (हत्या) के तहत फांसी की सजा सुनाते हुए 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

    वहीं, उसके पिता को आइपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत सजा सुनाते हुए 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

    पिता-पुत्र दोनों दोषी

    न्यायाधीश ने दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) को आदेश दिया कि वह पीड़ित परिवार को दिए जाने वाले मुआवजे की राशि तय करे। साथ ही अभियोजन पक्ष को मृत्युदंड के लिए हाईकोर्ट से सहमति लेने का निर्देश दिया है। अदालत ने इस मामले में पिता-पुत्र को 24 फरवरी को दोषी ठहराया था।

    पीड़िता गरीब और असहाय

    विशेष न्यायाधीश बबीता पुनिया ने कहा कि यह मामला सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म का है जो गरीब होने के साथ-साथ असहाय भी थी। अदालत ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि आरोपियों ने कितनी क्रूरता और अमानवीयता से उसका यौन उत्पीड़न किया।

    शव को सूटकेस में भरकर फेंका

    अदालत ने कहा कि आरोपियों की यह शैतानी हरकत यहीं नहीं रुकी, दोनों ने न केवल पीड़िता की हत्या की, बल्कि उसके शरीर के अंगों को रस्सी से बांध दिया और शव को सूटकेस में भरकर पार्क में फेंक दिया।

    अदालत ने कहा कि अपहरण के पीछे का मकसद युवक की हवस थी और हत्या के पीछे का मकसद कानूनी सजा से खुद को बचाना था।

    अदालत ने कहा कि मृतक पीड़िता अपनी आपबीती बताने के लिए अदालत के सामने मौजूद नहीं थी कि उसके साथ किस तरह से क्रूरता की गई, लेकिन मेडिकल और फोरेंसिक सबूत उसे न्याय दिलाने में मददगार साबित हुए।

    अदालत ने कहा कि अपराध की प्रकृति और समाज के कमजोर वर्गों को भीषण अपराधों से बचाने के लिए सख्त सजा की जरूरत है।

    उम्र के आधार पर सजा

    अदालत ने दोषी की उम्र के आधार पर सजा में नरमी बरतने की बचाव पक्ष की दलील को भी खारिज करते हुए कहा कि दोषी की कम उम्र को सजा कम करने का कारक नहीं माना जा सकता। चूंकि दोषी के बर्बर कृत्य से न केवल मृतक पीड़िता का परिवार प्रभावित हुआ है।

    राहत की मांग खारिज

    अदालत ने उसकी मां की इकलौता बेटा होने के आधार पर राहत की मांग को भी खारिज कर दिया। विशेष न्यायाधीश ने कहा कि यदि दोषी के साथ नरमी बरती जाती है तो अदालत पीड़िता और समाज के प्रति अपने कर्तव्य में विफल हो जाएगी।

    दोषी पूर्व में भी किया था घिनौना हरकत

    अदालत ने कहा कि 29 वर्षीय दोषी राजेंद्र पहले भी मासूम और कमजोर लड़कियों को अपना शिकार बना चुका है। अदालत ने कहा कि वर्ष 2016 में राजेंद्र ने आठ साल की बच्ची का अपहरण कर उसका यौन शोषण किया था और खुद को किशोर बताकर जमानत हासिल की थी।

    एक अपराध में मिला था सुधरने का मौका

    जमानत पर रहते हुए उसने इस सात साल की पीड़िता को अपनी हवस का शिकार बनाया। न्यायाधीश ने कहा कि पहले यौन अपराध में दोषी युवक को जमानत देकर अदालत ने उसे सुधरने का मौका दिया है। लेकिन, उस मौके का फायदा उठाकर खुद को सुधारने की बजाय उसने दूसरा अपराध कर दिया।

    बाप ने बेटे को अपना पाप छिपाने में की मदद

    ऐसे में उसके सुधरने की कोई संभावना नहीं है, वह समाज के लिए खतरा बन गया है और उसे सजा मिलनी चाहिए। कोर्ट ने दोषी के पिता के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर उसने पहले अपराध के दौरान अपने बेटे को डांटा होता तो वह दूसरा अपराध नहीं करता। लेकिन ऐसा करने की बजाय उसने अपने बेटे को अपना पाप छिपाने में मदद की।

    ये था मामला

    अभियोजन पक्ष के विशेष लोक अभियोजक श्रवण कुमार बिश्नोई ने बताया कि आरोपी राजेंद्र ने बच्ची को चिप्स का लालच दिया और अपने घर पर उसका यौन उत्पीड़न किया। उन्होंने बताया कि अपराध के समय मृतक पीड़िता करीब सात साल की थी।

    वह कुछ खाने का सामान लेने के लिए पास के एक रेस्तरां में जा रही थी, तभी आरोपी राजेंद्र ने उसका अपहरण कर लिया, फिर उसे अपने घर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी और उसका शव पास के एक खेत में फेंक दिया।

    दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 9 फरवरी 2019 को एफआईआर दर्ज की थी। बिश्नोई ने बताया कि बच्ची के हाथ-पैर प्लास्टिक की रस्सी से बंधे थे। उसके गले पर रस्सी के निशान थे। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक मौत का कारण यौन उत्पीड़न और माथे पर किसी ठोस व गैर नुकीली चीज से वार करना था।

    अदालत ने मामले में राजेंद्र को पाक्सो अधिनियम की धारा छह, आइपीसी की धारा 363 (नाबालिग का अपहरण), 366 (अवैध यौन संबंध के लिए अपहरण), 376-एबी (12 वर्ष से कम उम्र की महिला से बलात्कार) और धारा 302 (हत्या) के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया था।

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