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    Delhi Riots 2020: मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ नहीं होगी जांच, कोर्ट ने इस दिन तक लगाई रोक

    दिल्ली के कोर्ट ने मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ आगे की जांच के आदेश पर रोक लगा दी। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के खिलाफ कपिल मिश्रा की पुनरीक्षण याचिका पर नोटिस जारी किया। अदालत ने अगली सुनवाई तक आगे की जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। अगली सुनवाई की तारीख 21 अप्रैल है।

    By Digital Desk Edited By: Rajesh KumarUpdated: Wed, 09 Apr 2025 06:04 PM (IST)
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    कोर्ट ने मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ आगे की जांच के आदेश पर रोक लगा दी। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोर्ट ने मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ आगे की जांच के आदेश पर रोक लगा दी। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के खिलाफ कपिल मिश्रा की पुनरीक्षण याचिका पर नोटिस जारी किया। अदालत ने अगली सुनवाई तक आगे की जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। अगली सुनवाई की तारीख 21 अप्रैल है।

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    वहीं, दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा ने 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में अदालत से कहा कि मेरे एक्स हैंडल से किए गए पोस्ट में किसी समुदाय को नहीं बल्कि विपक्षी दलों को निशाना बनाया गया।

    राउज एवेन्यू स्थित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया के समक्ष पेश हुए कपिल मिश्रा के वकील ने अपने मुवक्किल की पुनर्विचार याचिका पर बहस के दौरान यह दलील दी।

    "सिर्फ दो पार्टियों को निशाना बनाया गया"

    वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने पोस्ट में सिर्फ़ दो पार्टियों (कांग्रेस और आप) को निशाना बनाया है। इस दौरान कपिल मिश्रा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए पेश हुए। वहीं, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि पुलिस मामले में एक्स से रिपोर्ट लेने की कोशिश कर रही है।

    क्या है पूरा मामला?

    कपिल मिश्रा पर 23 जनवरी 2020 को दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर अपने एक्स हैंडल से दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए आपत्तिजनक बयान पोस्ट करने का आरोप है। रिटर्निंग ऑफिसर की शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर (आदर्श आचार संहिता) एमसीसी और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था।

    मामले में चार्जशीट नवंबर 2023 में दाखिल की गई थी। कपिल मिश्रा के वकील ने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल के बयान यह उजागर करने का प्रयास थे कि कैसे कुछ सामाजिक तत्व नागरिकता (संशोधन) अधिनियम विरोधी आंदोलन के माध्यम से चुनाव से पहले माहौल खराब कर रहे हैं।

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