एमएस मिजोरम डायरेक्ट मार्केटिंग केस: पूर्व मुख्यमंत्री थनहवला समेत चार पर आरोप तय, सीबीआई कोर्ट का फैसला
राउज एवेन्यू स्थित सीबीआई अदालत ने मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री लाल थनहवला और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में आरोप तय किए हैं। यह मामला एमएस मिजोरम डायरेक्ट मार्केटिंग लिमिटेड से जुड़ा है जो दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को सौंपा गया था। अदालत ने पाया कि आरोपियों ने अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए एक निजी कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री लाल थनहवला, पूर्व प्रधान सचिव पीसी लल्लावमसांगा और दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में आरोप तय कर दिए हैं। यह मामला एमएस मिजोरम डायरेक्ट मार्केटिंग लिमिटेड से जुड़ा है, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को स्थानांतरित किया गया था। प्रारंभिक एफआईआर दिल्ली के बुराड़ी थाने में दर्ज हुई थी।
पहली नजर में अपराध की संभावना
विशेष न्यायाधीश जितेंद्र सिंह ने आरोप तय करते हुए कहा कि आरोप तय करने के चरण में अदालत को साक्ष्यों के अंतिम मूल्यांकन की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि यह देखना होता है कि क्या उपलब्ध साक्ष्य प्रथम दृष्टया किसी अपराध की संभावना दर्शाते हैं।
अदालत ने कहा कि जांच सामग्री से यह स्पष्ट होता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री लाल थनहवला और प्रधान सचिव (उद्योग) पीसी लल्लावमसांगा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एमएस आरएमपी इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए आपराधिक साजिश रची।
इन धाराओं में तय किए गए आरोप
इसके साथ ही आरोपित अजय जोशी (चार्टर्ड अकाउंटेंट) और प्रमोटर व निदेशक प्रवीन चंदन की भूमिका भी सामने आई है। अदालत ने आरोपितों के खिलाफ बीएनएस की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के तहत आरोप तय किए हैं।
हालांकि, अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में धोखाधड़ी से संबंधित आरोप हटाए। न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में कानूनी प्रक्रिया को जानबूझकर दरकिनार किया गया और संबंधित फाइल को असामान्य गति से आगे बढ़ाया गया।
इससे यह स्पष्ट होता है कि सार्वजनिक पद का दुरुपयोग कर निजी कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। अदालत ने माना कि यह केवल प्रशासनिक त्रुटि नहीं बल्कि आपराधिक कदाचार की श्रेणी में आता है।
2019 में दर्ज कराई थी शिकायत
अभियोजन के अनुसार, शिकायतकर्ता संसेर पाल सिंह ने दो अगस्त 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें यह कहकर निवेश के लिए प्रेरित किया गया कि एमएस मिजोरम डायरेक्ट मार्केटिंग लिमिटेड एक सरकारी कंपनी है।
बाद में पता चला कि कंपनी को व्यक्तिगत रूप से पीसी लल्लावमसांगा ने स्थापित किया था। दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर मामला सीबीआई को सौंपा गया, जिसने आगे की जांच कर पीसी लल्लावमसांगा, लाल थनहवला, अजय जोशी, प्रवीन चंदन और एमएस आरएमपी इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।
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