जिस डीन को जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय ने बताया 'फर्जी', वही संस्थान में संभालते मिले कामकाम
जामिया हमदर्द विवि और हमदर्द इंस्टीट्यूट के बीच विवाद में छात्रों को नुकसान हो रहा है। विवि ने एक डीन को फर्जी बताया पर वे काम कर रहे हैं। विवि ने एनएमसी को पत्र लिखकर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया और सीटें वापस ले लीं। सोसायटी ने विवि के फैसले को गलत बताया कहा कि गड़बड़ी मिसप्रिंट से हुई। मामला कोर्ट में है और छात्रों को न्याय का इंतजार है।

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली: जामिया हमदर्द विवि प्रशासन और हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च के बीच तनातनी का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।
कभी डिग्री होल्ड होने के नाम पर तो कभी परीक्षा से ही वंचित किए जाने को लेकर छात्र ही सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं। ताजा मामला एचआईएमएसआर के डीन का है।
विवि प्रशासन दो जुलाई 2025 को जारी अपने पत्र में जिस डीन को 'फर्जी' करार दिया था, मौके पर वही डीन कार्यालय में कामकाज संभालते मिले।
इतना ही नहीं उन्हीं की ओर से 21 जुलाई 2025 को नोटिस भी जारी किया गया है। विवि की ओर से प्रो. सुधीर कुमार जैन को डीन नियुक्त किया गया है, जबकि संस्थान की ओर से यह जिम्मेदारी डाॅ. मुसर्रत हुसैन संभाल रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक विगत छह जून को जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय की ओर से नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को पत्र लिखकर एचआईएमएसआर में एडमिशन और ऑनलाइन पोर्टल पर अपना नियंत्रण न होने का हवाला दिया।
साथ ही कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए एचआईएमएसआर में 813 करोड़ रुपये के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया। विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए 150 एमबीबीएस और 49 पीजी मेडिकल सीटें वापस ले ली हैं।
इसके चलते एनएमसी के अस्थायी सीट मैट्रिक्स में अब एचआईएमएसआर की सीटें शून्य दिख रही हैं। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब 21 जुलाई से नीट की काउंसलिंग शुरू हो चुकी है।
यह फैसला उन छात्रों के लिए चिंता का विषय है, जो हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च को अपने मेडिकल करियर की मंजिल मानते थे। अब उन्हें नीट काउंसलिंग के दौरान अन्य विकल्पों पर ध्यान देना होगा।
संस्थान के लिए उपलब्ध कराए 426 करोड़: एचईएस
एचआईएमएसआर का प्रबंधन देख रही हमदर्द एजुकेशन सोसायटी ने कहा कि सीटों की वापसी पूरी तरह से जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय द्वारा 6 जून, 2024 को संबद्धता रद्द करने के एकतरफा फैसले के कारण हुई, जो दिल्ली उच्च न्यायालय के यथास्थिति आदेश का उल्लंघन था।
एनएमसी ने एचआईएमएसआर के खिलाफ किसी भी वित्तीय या अनुपालन संबंधी चूक का हवाला नहीं दिया है। सोसायटी ने दावा किया कि कैग रिपोर्ट में जिस गड़बड़ी की बात की जा रही है, वह विवि के अपने वित्तीय रिकार्ड में मिसप्रिंट की वजह से हुआ होगा।
न तो एचआईएमएसआर को इसकी प्रति दी गई और न ही कभी इसका एक्सेस मिला। प्राइस वाटर हाउसकूपर्स (पीडब्ल्यूसी) सहित फर्मों द्वारा आडिट किए गए एचआईएमएसआर के खातों में कोई वित्तीय गड़बड़ी नहीं है।
उल्टे प्रायोजक संस्था ने एचआइएमएसआर की स्थापना के लिए 426 करोड़ रुपये का डोनेशन दिया। संस्थान 2021 के समझौता ज्ञापन और प्रबंधन बोर्ड के प्रस्ताव के तहत स्वायत्त रूप से संचालित है।
सोसायटी ने विवि प्रबंधन पर अस्पताल के खातों को फ्रीज करने और शैक्षणिक कार्यों में व्यवधान सहित निरंतर हस्तक्षेप का आरोप भी लगाया है। एचआईएमएसआर के डीन डाॅ. मुसर्रत हुसैन के मुताबिक मामला फिलहाल कोर्ट में है। सीटें बहाल करने के लिए हम लगातार एनएमसी के संपर्क में हैं।
विश्वविद्यालय छात्रों के भविष्य को लेकर बेहद गंभीर हैं। मामला कोर्ट में चल रहा है। न्यायपालिका से सकारात्मक निर्णय की उम्मीद है। डीन की नियुक्ति मैंने की है। जिन लोगों ने किसी और डीन के हवाले से विवि के पोर्टल पर 21 जुलाई को नोटिस जारी की है, वे खुद ही मामले में फंस रहे हैं।
-प्रो. मोहम्मद अफशार आलम, कुलपति, जामिया हमदर्द
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