Cloud Seeding: सीपीसीबी कृत्रिम वर्षा को नहीं मानता व्यावहारिक और दिल्ली सरकार कर रही एनओसी का इंतजार
दिल्ली सरकार कृत्रिम वर्षा का ट्रायल कराने की तैयारी कर रही है जिसके लिए सभी विभागों से एनओसी मिलना अनिवार्य है लेकिन सीपीसीबी ने पहले ही इसे अव्यावहारिक बताया था क्योंकि सर्दियों में पर्याप्त नमी नहीं होती है। अब देखना है कि सीपीसीबी इस बार एनओसी देता है या नहीं।

राज्य ब्यूरो, जागरण, नई दिल्ली: दिल्ली सरकार भले ही कृत्रिम वर्षा के ट्रायल की तैयारी कर रही है, लेकिन जब तक सभी विभागों और एजेंसियों की एनओसी न मिल जाए, ट्रायल नहीं हो सकता।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सिर्फ आठ माह पहले ही वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान की दिशा में कृत्रिम वर्षा को अव्यवहारिक करार दे दिया था।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने कैबिनेट की एक बैठक में सात मई को ही कृत्रिम वर्षा के पांच ट्रायल के लिए मंजूरी दी है। हर क्लाउड-सीडिंग ट्रायल की लागत करीब 55 लाख होगी।
पांच ट्रायल होने हैं, जिस पर 2.75 करोड़ का खर्च आएगा
पांच ट्रायल के लिए कुल अनुमानित खर्च 2.75 करोड़ है। इसके अलावा, एक बार की व्यवस्था जैसे एयरक्राफ्ट की कैलिब्रेशन, कैमिकल स्टोरेज-लाजिस्टिक के लिए 66 लाख का खर्च तय किया गया है।
इस प्रोजेक्ट को आईआईटी कानपुर के दिशा निर्देश में संचालित किया जाएगा, जो पूरे प्रोजेक्ट की योजना, एयरक्राफ्ट की तैनाती, केमिकल के छिड़काव, वैज्ञानिक माडलिंग और ट्रायल्स की निगरानी करेगा।
पहला ट्रायल मई के अंत या जून 2025 में हो सकता है, जो लगभग 100 वर्ग किमी के क्षेत्र में, मुख्यतया दिल्ली के बाहरी इलाकों में किया जाएगा।
पर्यावरण मंत्री ने कहा- विभागों से एनओसी मिलने का इंतजार
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के मुताबिक ट्रायल के लिए सभी संबंधित 13 सरकारी विभागों और एजेंसियों को एनओसी के लिए पत्र भेजा जा चुका है। अब स्वीकृति का इंतजार है। इनमें सीपीसीबी व मौसम विभाग भी काफी अहम है।
सीपीसीबी ने सितंबर 2024 में ही कृत्रिम वर्षा के ट्रायल के लिए राजधानी के तत्कालीन पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के अनुरोध प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
सीपीसीबी ने मौसम विभाग की सलाह को बताया था महत्वपूर्ण
सामाजिक कार्यकर्ता अमित गुप्ता की एक आरटीआई के जवाब में 14 नवंबर 2024 को आईआईटी कानपुर व मौसम विभाग से मिले इनपुट के आधार पर इस संबंध में सीपीसीबी ने अपना जवाब दिया।
कहा, दिल्ली में कृत्रिम वर्षा को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक व्यवहारिक विकल्प नहीं माना जा सकता। वजह, सर्दियों के दौरान, जब वायु प्रदूषण चरम पर होता है, हवा में पर्याप्त नमी नहीं होती।
नमी कृत्रिम वर्षा के लिए अति आवश्यक है। क्लाउड सीडिंग के लिए 50 प्रतिशत या उससे अधिक नमी वाले बादल होने चाहिए। सीपीसीबी ने ट्रायल के लिए मौसम विभाग की भी सलाह को भी बहुत महत्वपूर्ण बताया था।
ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कृत्रिम वर्षा के ट्रायल को सीपीसीबी एनओसी देता है अथवा नहीं। अगर देता है तो क्या आधार रहेगा और नहीं देता तो क्या तर्क होगा?
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