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    'जस्टिस यशवंत वर्मा का न्यायिक कार्य स्थगित रखें; इलाहाबाद HC के मुख्य न्यायाधीश को CJI का आदेश

    Updated: Fri, 28 Mar 2025 06:45 PM (IST)

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के न्यायिक कार्यों को स्थगित रखने का आदेश दिया है। यह आदेश दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के लिए जारी किए गए आदेश के समान है। हाल ही में सरकार ने जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण की सिफारिश को मंजूरी दी थी।

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    जस्टिस वर्मा के न्यायिक कार्य को स्थगित रखने के आदेश।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के न्यायिक कार्य को स्थगित रखने को कहा। इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के लिए भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था।

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    इससे पहले, सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के उनके मूल इलाहाबाद हाई कोर्ट में तबादले की अधिसूचना जारी की। यह आदेश उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने की कथित खोज को लेकर चल रहे विवाद के बीच आया है। विधि मंत्रालय ने उनके तबादले की अधिसूचना जारी की।

    नकदी मिलने की जांच से अलग है ट्रांसफर का मामला

    सोमवार को सरकार से उनकी इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापसी की सिफारिश करते हुए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने स्पष्ट किया कि यह कदम शीर्ष अदालत द्वारा जस्टिस वर्मा के आवास से नकदी मिलने की कथित खोज के बाद शुरू की गई आंतरिक जांच से अलग है। यह घटना 14 मार्च को रात 11:35 बजे के आसपास आग लगने के बाद सामने आई थी।

    दिल्ली HC से भी न्यायिक कार्य वापस लेने को कहा गया था

    इस घटना के बाद, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने दिल्ली हाई कोर्ट को निर्देश दिया था कि जज से न्यायिक कार्य वापस ले लिया जाए। 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू की थी और जज के तबादले का एक अलग प्रस्ताव भी था।

    मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति गठित की

    जस्टिस उपाध्याय ने 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक से पहले जांच शुरू कर दी थी। 22 मार्च को, मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जस्टिस उपाध्याय की जांच रिपोर्ट अपलोड की और एक तीन सदस्यीय समिति गठित की, जो आंतरिक जांच करेगी।

    दो दिन बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने औपचारिक रूप से केंद्र को जस्टिस वर्मा के तबादले की सिफारिश की। उस दिन के एक सुप्रीम कोर्ट संकल्प में कहा गया, "सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च, 2025 को हुई अपनी बैठकों में दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापसी की सिफारिश की है।"

    जस्टिस वर्मा ने नकदी मिलने के आरोपों से किया इनकार

    अगले दिन, सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय समिति ने जस्टिस वर्मा के आवास का दौरा किया और जांच शुरू की। जस्टिस वर्मा ने किसी भी तरह के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने वहां कोई नकदी रखी थी। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दिल्ली पुलिस से उनके सरकारी आवास से जली हुई नकदी की कथित खोज पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी।

    (एजेंसी इनपुट के साथ)

    यह भी पढ़ें- Cash Discovery Row: जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

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