सिनेमा हॉल लाइसेंस में पुलिस की भूमिका पूरी तरह से समाप्त, जानें किसकी सिफारिश पर कौन देगा लाइसेंस?
दिल्ली में कारोबार को आसान बनाने के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सिनेमा हॉल लाइसेंस प्रक्रिया से पुलिस की अनुमति को खत्म कर दिया है। 2015 की अधिसूचना को मंजूरी देते हुए एलजी ने कहा कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के तहत कई प्राधिकरणों द्वारा एक ही अधिकार का प्रयोग कारोबार की सुगमता में बाधा बन रहा था। अब राजस्व उपायुक्त लाइसेंस जारी करेंगे जिससे सिनेमा हॉल मालिकों को राहत मिलेगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी में कारोबार को सरल और सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। कारोबार को सरल बनाने की दिशा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एक बड़ा फैसला किया है। उन्होंने सिनेमा हॉल के लिए आवश्यक लाइसेंस प्रक्रिया से पुलिस की अनुमति को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य सिनेमा उद्योग को सुगम और पारदर्शी बनाना है, ताकि व्यवसायियों को अनावश्यक बाधाओं का सामना न करना पड़े।
2015 की अधिसूचना को मंजूरी
उपराज्यपाल ने 9 जनवरी 2015 को जारी अधिसूचना में दी गई सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। इस अधिसूचना में सिनेमा हॉल लाइसेंस के लिए पुलिस की भूमिका को हटाने की बात कही गई थी। सक्सेना ने इस सिफारिश को लागू करते हुए स्पष्ट किया कि यह निर्णय कारोबारी प्रक्रियाओं को सरल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
अब कौन देगा सिनेमा हॉल का लाइसेंस?
उपराज्यपाल के आदेशानुसार, अब नोडल एजेंसी की सिफारिशों पर विचार करने के बाद ही राजस्व उपायुक्त सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत लाइसेंस जारी करेंगे।
क्यों किया गया यह निर्णय
एलजी ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 की धारा 11 के तहत कई प्राधिकरणों द्वारा एक ही अधिकार का प्रयोग "कारोबार की सुगमता" के लक्ष्य में बाधा बन रहा था। ऐसे में अनुपालन का बोझ बढ़ा रहा था। साथ ही, माननीय न्यायालयों ने कई निर्णयों में सुझाव दिया है कि पुलिस द्वारा लाइसेंसिंग की मौजूदा प्रणाली को समाप्त किया जाना चाहिए।
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पुलिस को दूर रहने के दिए आदेश
एलजी वीके सक्सेना ने पुलिस आयुक्त को आदेश दिया है कि सिनेमा हॉल लाइसेंस के मामलों से पुलिस को पूरी तरह अलग रहना होगा। इस फैसले से सिनेमा हॉल मालिकों को राहत मिलने की उम्मीद है। यह दिल्ली में कारोबारी माहौल को और बेहतर बनाने के लिए किया गया है।
उन्होंने आदेश में कहा है कि दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 की धारा 4 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया जाता है कि वे संबंधित अधिकारियों को सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत लाइसेंस प्रदान करने से संबंधित मामलों से दूर रहने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी करें। इन निर्देशों को दिल्ली पुलिस और राजस्व विभाग द्वारा व्यापक प्रचार भी दिया जाएगा।
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