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    Delhi: दिल्ली के इमामों के वेतन पर LG और CM कार्यालय तलब, CIC ने मुख्य सचिव-दिल्ली वक्फ बोर्ड को भी भेजा नोटिस

    By Jagran NewsEdited By: Geetarjun
    Updated: Sun, 13 Nov 2022 10:12 PM (IST)

    केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने आरटीआइ कानून के तहत दिल्ली में मस्जिदों के इमामों को दिए जाने वाले वेतन की जानकारी नहीं देने को लेकर दिल्ली के उप राज्यपाल मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के कार्यालयों के अधिकारियों को तलब किया है।

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    दिल्ली के इमामों के वेतन पर LG और CM कार्यालय तलब।

    नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने आरटीआइ कानून के तहत दिल्ली में मस्जिदों के इमामों को दिए जाने वाले वेतन की जानकारी नहीं देने को लेकर दिल्ली के उप राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के कार्यालयों के अधिकारियों को तलब किया है। कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की याचिका पर सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के अधिकारियों को भी नोटिस जारी किया है।

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    अग्रवाल सूचना के अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के तहत अपने आवेदन के माध्यम से दिल्ली की मस्जिदों में इमामों को वेतन देने के फैसले पर फाइल नोट्स सहित पूरी जानकारी चाहते थे। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उन मस्जिदों की कुल संख्या जानने की कोशिश की, जहां इमामों को वेतन मिलता है। अपने आरटीआइ आवेदन के माध्यम से, अग्रवाल ने यह भी पूछा कि क्या हिंदू मंदिरों के पुजारियों को भी इस तरह का वेतन दिया जा रहा है।

    LG ऑफिस और CMO ने नहीं दिया जवाब

    एलजी और मुख्यमंत्री के कार्यालयों ने आरटीआइ आवेदन का जवाब नहीं दिया, लेकिन मुख्य सचिव के कार्यालय ने इसे राजस्व विभाग और दिल्ली वक्फ बोर्ड को स्थानांतरित कर दिया। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने अग्रवाल को अपने जवाब में कहा कि कोई भी प्रश्न उनसे संबंधित नहीं है। आयुक्त ने इन दोनों विभागों के जनसूचना अधिकारियों को भी नोटिस जारी कर 18 नवंबर को सुनवाई के लिए पेश होने को कहा है। सीआइसी ने अधिकारियों से मामले से जुड़ी सभी फाइलों को सुनवाई के लिए लाने को कहा है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने 1993 में वक्फ बोर्डों को उनके द्वारा प्रबंधित मस्जिदों में काम करने वाले इमामों को पर्याप्त वेतन देने का आदेश दिया था। जस्टिस आरएम सहाय की खंडपीठ ने कहा, ''इसलिए, हम इस दलील को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं कि वक्फ अधिनियम में किसी भी वैधानिक प्रविधान के अभाव में मस्जिदों की धार्मिक गतिविधियों की देखभाल करने वाले इमाम किसी पारिश्रमिक के हकदार नहीं हैं।''

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