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    EKAL Vidyalaya: 22000 रुपये के दान पर बच्चों को साल भर मिलती है मुफ्त शिक्षा, पीएम कर चुके हैं अभियान की तारीफ

    Updated: Mon, 19 Feb 2024 09:46 AM (IST)

    देश में बच्चों की शिक्षा के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में से एक एकल विद्यालय का प्रयास भी है। एकल अभियान के जरिए देश में लाखों बच्चों को एजुकेशन मुहैया करवाई जा रही है। शिक्षा डिजिटल साक्षरता स्वास्थ्य और कौशल प्रशिक्षण तक फैला काम ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों को अपनी मदद करने के लिए रिसोर्सेज और टूल्स देकर सशक्त बनाता है।

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    EKAL Vidyalaya: 22000 रुपये के दान पर साल भर बच्चों को मिलती है मुफ्त शिक्षा

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में बच्चों की शिक्षा के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में से एक एकल विद्यालय का प्रयास भी है। एकल अभियान के जरिए देश में लाखों बच्चों को एजुकेशन मुहैया करवाई जा रही है।

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    शिक्षा, डिजिटल साक्षरता, स्वास्थ्य और कौशल प्रशिक्षण तक फैला काम ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों को अपनी मदद करने के लिए रिसोर्सेज और टूल्स देकर सशक्त बनाता है। एकल अभियान की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं।

    बता दें कि भारत लोक शिक्षा परिषद की ओर से दिल्ली के कनॉट प्लेस में एकल वार्षिक अमृत महोत्सव- 2024 का आयोजन किया गया। इस दौरान संस्था को डोनेशन देने वाले प्रमुख लोगों को सम्मानित किया गया, साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया।

    प्रत्येक विद्यालय में 25-30 बच्चों को दी जाती है शिक्षा

    एकल अभियान के तहत एकल विद्यालय चलाए जाते हैं, जहां पर 22000 रुपये के डोनेशन पर एक साल के लिए प्रत्येक विद्यालय में 25-30 बच्चों के शिक्षा मुहैया करवाई जाती है। वहीं एकल विद्यालय को सपोर्ट करने वालों में एसबीआई कैपिटल, गेल, एसएमसी ग्लोबल सर्विसेज, आईआरएफसी, ग्लोब कैपिटल, ईआईएल जैसी बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं।

    एकल वार्षिक अमृत महोत्सव- 2024 के दौरान कई बड़ी कंपनियों और लोगों ने व्यक्तिगत तौर पर सहयोग करते हुए करोड़ों रुपयों का डोनेशन एक ही दिन में दिया। एकल विद्यालय को सपोर्ट करते हुए संस्था को एकल वार्षिक अमृत महोत्सव- 2024 के दौरान एक ही दिन में 15 करोड़ रुपये से ज्यादा का डोनेशन मिला है। कार्यक्रम में राज चावला, प्रवीण कांत, करन गर्ग, रजनी चावला, विजय कपूर, अविनाश मट्टा, आनंद खंडेलवाल, सबीना वासुदेव आदि भी शामिल रहे।

    इस कार्यक्रम को लेकर ट्रस्टी एवं सीएसआर विभाग के चेयरमैन सुभाष सी अग्रवाल ने कहा कि विश्व का सर्वश्रेष्ठ सामाजिक शिक्षा संगठन एकल अभियान पंचमुखी शिक्षा (शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, जागरण एवं स्वावलंबन) के माध्यम से गावों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्यरत है।

    वर्तमान में बिना किसी सरकारी सहायता के लगभग एक लाख एकल विद्यालय सफलतापूर्वक संचालित किये जा रहे हैं, जिसके माध्यम से लगभग 28 लाख बच्चों को एजुकेशन हासिल हो रही है।

    कार्यक्रम को लेकर एकल-सीएसआर के वाइस चेयरमैन अभय चंडालिया ने कहा कि एकल राष्ट्र निर्माण के साथ सामाजिक परिवर्तन लाने में कार्यरत है। इसका उद्देश्य शिक्षित, स्वस्थ, स्वावलंबी, जागरूक, नशामुक्त, संगठित और सुरक्षित भारत का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि आज भारत को धर्मांतरण नक्सलवाद, माओवाद, आतंकवाद, गांवों से शहरों में पलायन, अशिक्षा, बीमारी, गरीबी आदि समस्याओं ने राष्ट्र को घेरा है, एकल एक प्रहरी के रूप में इन समस्याओं को दूर करने के लिए कार्यरत है।

    क्या है उद्देश्य?

    वहीं भारत लोक परिषद के राष्ट्रीय प्रधान अखिल गुप्ता और संयुक्त महामंत्री सुनील गुप्ता ने बताया कि एकल का उद्देश्य ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद बच्चों तक शिक्षा पहुंचने के लिए समाज के प्रतिष्ठित दानदाता बंधुओं को एकल से जोड़ना, एकल का प्रचार प्रसार करना और एकल विद्यालय के लिए धन इकट्ठा करना है।

    सप्ताह में 6 दिन चलता है विद्यालय

    बता दें कि वर्ष 1989 में झारखंड से 60 एकल विद्यालयों से शुरू हुआ ये अभियान आज एक लाख विद्यालयों तक पहुंच चुका है। विद्यालय में औसतन 25 से 30 छात्रों के साथ सप्ताह में 6 दिन, 3 घंटे के लिए चलता है। जिसका मुख्य उद्देश्य पढ़ने-लिखने, मूल अंकगणित, सामान्य विज्ञान और बुनियादी सामाजिक अध्ययन, बुनियादी कौशल को पढ़ाना है।

    वहीं महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रमुख कार्य करते हुए एकल विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों में 50 प्रतिशत लड़कियां हैं, महिला आचार्यों की संख्या 72 प्रतिशत है, पूर्णकालिक महिला कार्यकर्ताओं की संख्या 22 प्रतिशत है, आईटी से शिक्षा प्राप्त महिलाऐं जीआरसी सेंटर में कार्यरत हैं जिनकी संख्या 40 प्रतिशत है, 30 प्रतिशत महिलाएं एकल ओन व्हील में प्रशिक्षक हैं, 20 प्रतिशत महिलाएं जैविक पोषण वाटिका में प्रशिक्षक हैं। बाल-बालिकाएं लगभग समान अनुपात में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।