Delhi Traffic Challan: आंकड़ा देख दंग रह गए पुलिस अफसर, करोड़ों में चालान; फिर वसूली लाखों में क्यों?
ट्रैफिक नियम तोड़ने पर चालान कटने के बाद लोग जुर्माना भरने की बजाय लोक अदालत का रुख कर रहे हैं। लोक अदालत में चालान कम करवाया जा सकता है या माफ भी करवाया जा सकता है। पिछले एक साल में 1597 करोड़ रुपये से अधिक के चालान हैंड हेल्ड डिवाइस पर काटे गए लेकिन वसूली मात्र 69 लाख 71 हजार की हो सकी।
मोहम्मद साकिब, नई दिल्ली। राजधानी में ट्रैफिक नियम तोड़ने पर यातायात पुलिस वाहनों का चालान करती है, लेकिन लोग चालान भरने के बजाय जुगाड़ की तलाश में जुट जाते हैं। यही वजह है कि चालान का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है और इसे भरने वालों की संख्या घटती जा रही है।
पिछले एक साल में 1,597 करोड़ रुपये से अधिक के चालान हैंड हेल्ड डिवाइस (मौके पर) पर काटे गए, लेकिन वसूली मात्र 69 लाख 71 हजार की हो सकी। इसका मुख्य कारण लोक अदालतें हैं, जहां लोग अपने चालान का सेटलमेंट करा लेते हैं। बता दें कि यातायात पुलिस के द्वारा किए गए चालान की रकम परिवहन विभाग के पास जाती है।
चालान की रकम में लगातार आई कमी
ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में ट्रैफिक नियम तोड़ने पर 10 लाख 47 हजार से अधिक लोगों का 244 करोड़ से अधिक का हैंड हेल्ड डिवाइस चालान (मौके पर ही) काटा गया था और ट्रैफिक पुलिस को करीब 18 करोड़ 86 लाख रुपये की वसूली हुई। लेकिन इसके बाद से चालान और रकम दोनों की संख्या बढ़ी है, लेकिन चालान की रकम में लगातार कमी आई है।
चालानों की संख्या में हुई बढ़ोतरी
वहीं, 2024-25 में 26 फरवरी तक करीब 22 लाख 89 हजार से अधिक लोगों के 1,597 करोड़ रुपये से अधिक के चालान हैंड हेल्ड डिवाइस (मौके पर) पर काटे गए, लेकिन वसूली मात्र 69 लाख 71 हजार की हो सकी। वहीं, स्पेशल सीपी ट्रैफिक अजय चौधरी ने बताया कि 2020-2021 के बाद चालानों की संख्या में तो बढ़ोतरी हुई है, लेकिन वसूली में लगातार कमी आ रही है। चालानों को भरने के लिए लोक अदालत लगाई जाती है। ज्यादातर लोग वहां पर चालान भरते हैं।
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इसलिए कर रहे लोक अदालत का रुख
लोक अदालत एक ऐसी कानूनी व्यवस्था है, जहां ट्रैफिक चालानों के साथ-साथ कई तरह के छोटे-मोटे कानूनी मामलों को निपटाया जाता है। यातायात नियम तोड़ने पर ट्रैफिक चालान भरने के बजाय लोग लोक अदालत में जाकर इसे कम करवाते हैं या माफ भी करवाते हैं। हर तीन महीने में आयोजित होने वाली लोक अदालत में लाखों चालानों का सेटलमेंट किया जाता है। इस वजह से वसूली का आंकड़ा घटता जा रहा है।
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