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    CBSE ने 9वीं और 11वीं के Internal Exam के नियम बदले; स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2026-27 से होंगे लागू

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 04:07 PM (IST)

    CBSE ने नौवीं और 11वीं की आंतरिक परीक्षाओं के नियमों में बदलाव किया है। अब 2026 से इन कक्षाओं में भी 10वीं और 12वीं के समान उत्तीर्ण मानदंड लागू होंगे। यह निर्णय छात्रों और अभिभावकों से मिली शिकायतों के बाद लिया गया है क्योंकि अलग-अलग स्कूलों में उत्तीर्ण मानदंड अलग-अलग थे जिससे छात्रों पर दबाव बढ़ता था। अब एक समान मानक लागू होगा।

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    सीबीएसई स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू होंगे नियम।

    रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 9thऔर 11th की Internal Exam के लिए अहम बदलाव करने का निर्णय लिया है। अब इन कक्षाओं में भी वही उत्तीर्ण मानदंड लागू होंगे, जो 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में होते हैं।

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    यह नियम 2026 की परीक्षाओं से लागू होंगे। सीबीएसई चेयरमैन राहुल सिंह ने कहा कि स्कूल स्तर पर मूल्यांकन में भी वही सख्ती और स्पष्टता होनी चाहिए, जो बोर्ड परीक्षाओं में होती है।

    यह फैसला उस समय आया है, जब हाल ही में दिल्ली के एमएल खन्ना डीएवी पब्लिक स्कूल में 11वीं के एक छात्र की आत्महत्या का मामला सामने आया था।

    आरोप था कि छात्र को परीक्षा में असफल घोषित कर दिया गया और स्कूल प्रशासन ने न तो उसे पर्याप्त सहयोग दिया, न ही परामर्श देने जैसी मदद की। इस घटना ने आंतरिक परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और समर्थन तंत्र को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे।

    फिलहाल, नौवीं और 11वीं की परीक्षाएं स्कूल स्वयं आयोजित करते हैं और उत्तीर्ण मानदंड तय करने का अधिकार भी स्कूलों के पास होता है।

    बोर्ड अधिकारियों के मुताबिक सीबीएसई को समय-समय पर छात्रों और अभिभावकों से शिकायतें मिलती रही हैं कि अलग-अलग स्कूलों में उत्तीर्ण मानदंड को लेकर नियम अलग हैं, जिससे कई बार छात्रों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और मनमानी की गुंजाइश रहती है।

    सीबीएसई के परीक्षा उप-नियमों के अनुसार 11वीं में पास होने के लिए हर विषय में न्यूनतम 33 प्रतिशत अंक जरूरी हैं। जिन विषयों में प्रैक्टिकल (प्रायोगिक) शामिल है।

    उनमें थ्योरी (लिखित) और प्रैक्टिकल दोनों में अलग-अलग 33 प्रतिशत अंक हासिल करना अनिवार्य है। साथ ही, कुल मिलाकर भी 33 प्रतिशत अंक लाना जरूरी है।

    नौवीं में पास होने के लिए पांचों मुख्य विषयों (छठे वैकल्पिक विषय को छोड़कर) में कम से कम ग्रेड डी प्राप्त करना आवश्यक है, साथ ही अन्य विषयों में भी न्यूनतम निर्धारित ग्रेड हासिल करनी होती है।

    बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि यदि यही उत्तीर्ण मानदंड नौवीं और 11वीं में भी लागू कर दिए जाएं, तो पूरे देश के सभी संबद्ध स्कूलों में एक समान मानक बन सकेगा और मनमाने निर्णयों पर रोक लगेगी।

    साथ ही, स्कूलों को आंतरिक परीक्षाओं में भी एक पारदर्शी मूल्यांकन प्रणाली और स्पष्ट निर्णय-प्रक्रिया अपनानी होगी। बोर्ड की परीक्षा समिति की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। सीबीएसई की गवर्निंग बाडी ने परीक्षा समिति की सिफारिशों को हरी झंडी दे दी है।

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