CBSE तैयार करेगा ग्लोबल करिकुलम, दूसरे देशों में बोर्ड के स्कूलों में आठवीं कक्षा तक पढ़ाया जाएगा
सीबीएसई ने विदेशों में स्थित स्कूलों के लिए प्री-प्राइमरी से आठवीं कक्षा तक का ग्लोबल करिकुलम बनाने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य भारतीय मूल्यों के साथ अंतरराष्ट्रीय मानकों को मिलाकर शिक्षा प्रदान करना है। अगले पांच वर्षों में एक हजार स्कूलों को जोड़ने का लक्ष्य है। सीबीएसई का यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप है जिससे प्रवासी और स्थानीय छात्रों को लाभ होगा।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने दूसरे देशों में स्थित अपने संबद्ध स्कूलों के लिए प्री-प्राइमरी से लेकर आठवीं कक्षा तक का ग्लोबल करिकुलम (वैश्विक पाठ्यक्रम) तैयार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इसका उद्देश्य केवल प्रवासी भारतीय छात्रों तक सीमित न रहकर मेजबान देशों के स्थानीय छात्रों तक भी सीबीएसई की पहुंच बढ़ाना है।
यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा- 2023 के अनुरूप होगा, जिसमें भारतीय मूल्यों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक मानकों को भी समाहित किया जाएगा।
सीबीएसई की गवर्निंग बाडी की बैठक में बताया गया कि ग्लोबल करिकुलम का निर्माण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शिक्षा पद्धतियों और स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
इसके लिए विदेशों में स्थित सीबीएसई स्कूलों और अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रम (आइबी, कैम्ब्रिज) चलाने वाले संस्थानों के विशेषज्ञों की समितियां बनाई जाएंगी।
साथ ही, एक पेशेवर शैक्षणिक एजेंसी को पारदर्शी निविदा (आरएफपी) प्रक्रिया के जरिए चुना जाएगा। यह एजेंसी विषयवार सीबीएसई अधिकारियों के निर्देशन में पाठ्यक्रम, संदर्भित शिक्षण-सामग्री, मूल्यांकन ढांचा और देश-विशेष संबद्धता मानक तैयार करेगी।
ग्लोबल करिकुलम के विकास के दौरान संरचित समीक्षा, क्षमता निर्माण कार्यक्रम और डिजिटल माध्यम से प्रसार किया जाएगा।
अगले पांच वर्ष का लक्ष्य
सीबीएसई का लक्ष्य है कि इस पहल के तहत अगले पांच वर्षों में दुनिया भर के करीब एक हजार स्कूलों को जोड़ा जाए। इससे बोर्ड की पहुंच प्रवासी भारतीय समुदाय से आगे बढ़कर विभिन्न देशों के स्थानीय छात्र समुदाय तक होगी।
अंतरराष्ट्रीय तुलना भी हुई पेश
बैठक में एक तुलनात्मक तालिका भी प्रस्तुत की गई, जिसमें राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) की तुलना कैम्ब्रिज, आस्ट्रेलिया के एसीएआरए, कनाडा के ओंटारियो, फिनलैंड के एफएनबीई और आइबी जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रणाली से की गई।
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