CBSE ने सात राज्यों में खोले अपने रीजनल और सब-रीजनल ऑफिस, स्कूलों और छात्रों को मिलेंगी बेहतर सुविधाएं
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूलों और छात्रों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए अपने प्रशासनिक ढांचे का विस्तार किया है। चार नए क्षेत्रीय और तीन उप-क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किए गए हैं। इन कार्यालयों का उद्देश्य शिक्षा संबंधी कार्यों में तेजी पारदर्शिता और सुविधा प्रदान करना है ताकि स्कूलों को दिल्ली या अन्य राज्यों पर निर्भर न रहना पड़े। यह विकेंद्रीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। देशभर के स्कूलों और छात्रों को बेहतर सुविधा देने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने प्रशासनिक ढांचे का विस्तार किया है।
बोर्ड ने चार नए रीजनल कार्यालय / सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और तीन नए सब-रीजनल कार्यालय स्थापित किए हैं। सीबीएसई सचिव हिमांशु गुप्ता की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक ये कार्यालय अगस्त और सितंबर में कार्यशील हो जाएंगे।
अधिसूचना के अनुसार, रायपुर और रांची स्थित रीजनल कार्यालय 22 अगस्त से ही काम करना शुरू कर चुके हैं। रायपुर से पूरे छत्तीसगढ़ और रांची पूरे झारखंड राज्य की जिम्मेदारी देखेंगे।
इसी दिन ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) और गंगटोक (सिक्किम) में भी सब-रीजनल कार्यालय शुरू हो गए हैं। वहीं, एक सितंबर से गुरुग्राम और लखनऊ में नए क्षेत्रीय कार्यालय कार्यरत होंगे।
गुरुग्राम कार्यालय हरियाणा के 12 दक्षिणी जिलों—भिवानी, चरखी दादरी, फरीदाबाद, गुरुग्राम, झज्जर, महेंद्रगढ़, नूंह, पलवल, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक और सोनीपत—की जिम्मेदारी संभालेगा।
लखनऊ कार्यालय उत्तर प्रदेश के 30 जिलों जैसे अयोध्या, कानपुर, झांसी, लखनऊ, प्रयागराज और वाराणसी को कवर करेगा।
इसके अलावा अगरतला (त्रिपुरा) का सब-रीजनल कार्यालय 15 सितंबर से काम करेगा, जो पूरे त्रिपुरा राज्य के स्कूलों के प्रशासनिक कार्य संभालेगा।
सीबीएसई का कहना है कि अब सभी संबद्ध स्कूल अपने-अपने रीजनल या सब-रीजनल कार्यालय के दायरे में आएंगे। इसका उद्देश्य राज्यों में स्कूलों और छात्रों को तेजी, पारदर्शिता और सुविधा उपलब्ध कराना है।
नए कार्यालयों के माध्यम से बोर्ड यह सुनिश्चित करना चाहता है कि बड़े राज्यों में भी शिक्षा संबंधी कार्यवाही के लिए स्कूलों को दिल्ली या किसी दूसरे राज्य पर निर्भर न रहना पड़े।
शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहल विकेंद्रीकरण की दिशा में बड़ा कदम है और इससे प्रशासनिक कार्यवाही तेज होगी, छात्रों की समस्याओं का निपटारा स्थानीय स्तर पर हो सकेगा। साथ ही, क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने में भी यह प्रयास कारगर सिद्ध होगा।

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