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    हथकरघा क्षेत्र के लिए कार्बन फुटप्रिंट पर रिपोर्ट जारी, बुनकरों को Carbon Credit बाजार से जोड़ने में मिलेगी मदद

    Updated: Wed, 06 Aug 2025 08:56 PM (IST)

    केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने हथकरघा क्षेत्र में पर्यावरणीय प्रभाव को समझने के लिए कार्बन फुटप्रिंट मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की। IIT दिल्ली और वस्त्र मंत्रालय द्वारा तैयार रिपोर्ट बुनकरों को उनके उत्पादों के कार्बन उत्सर्जन को मापने में मदद करेगी। मंत्री ने कहा कि यह पहल पर्यावरण सुरक्षा और बुनकरों को कार्बन क्रेडिट बाजार से जोड़ने में सहायक है। हथकरघा क्षेत्र भारत की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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    हथकरघा क्षेत्र के कार्बन फुटप्रिंट की पहली विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट जारी।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय की ओर से हथकरघा क्षेत्र में पर्यावरणीय प्रभाव को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है।

    केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने बुधवार को भारतीय हथकरघा क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट मूल्यांकन पर आधारित एक अहम रिपोर्ट जारी की।

    यह रिपोर्ट आईआईटी दिल्ली के टेक्सटाइल एवं फाइबर इंजीनियरिंग विभाग और विकास आयुक्त (हथकरघा), वस्त्र मंत्रालय की ओर से संयुक्त रूप से तैयार की गई है।

    कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री पवित्र मार्घेरिटा, वस्त्र सचिव नीलम शमी राव, विकास आयुक्त (हथकरघा) डाॅ. एम. बीना और आईआईटी दिल्ली के वरिष्ठ प्रोफेसर, प्रो. आर. अलागिरुस्वामी, प्रो. बिपिन कुमार और प्रो. अश्विनी अग्रवाल भी मौजूद रहे।

    परियोजना का नेतृत्व प्रो. बिपिन कुमार द्वारा किया गया, जिसमें भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान, वीवर सर्विस सेंटर्स, बुनकर समूहों और ग्रीनस्टिच प्राइवेट लिमिटेड जैसे कई संगठनों से परामर्श लिया गया।

    गिरिराज सिंह ने कहा कि स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) की दिशा में सच्ची प्रगति तभी संभव है, जब उत्पादन की हर प्रक्रिया में पर्यावरणीय प्रभाव को मापा जाए। जब तक हम आंकड़ों के माध्यम से समस्या को नहीं समझेंगे, समाधान संभव नहीं है।

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    उन्होंने आगे कहा कि यह पहल न सिर्फ पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह हमारे हथकरघा बुनकरों को वैश्विक कार्बन क्रेडिट बाजार से जोड़ने की संभावना भी उत्पन्न करती है।

    3.5 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देने वाला हथकरघा क्षेत्र, विशेषकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में, भारत की सांस्कृतिक धरोहर और महिला सशक्तिकरण का भी प्रमुख आधार है।

    प्रो. बिपिन कुमार ने कहा, यह रिपोर्ट सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने और यह समझने में मदद करती है कि कहां- कहां पर्यावरणीय प्रभाव अधिक है और किन बिंदुओं पर सुधार संभव है।

    क्या है रिपोर्ट की खासियत

    यह रिपोर्ट भारत के हथकरघा उत्पादों जैसे कॉटन बेडशीट, फ्लोर मैट, इकट साड़ी, बनारसी साड़ी आदि पर आधारित वास्तविक केस स्टडीज के माध्यम से यह बताती है कि किस प्रकार सरल व सस्ती तकनीकों की मदद से बुनकर अपने उत्पादों के कार्बन उत्सर्जन की मात्रा को माप सकते हैं।

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