फांसी घर पर ही नहीं, दिल्ली विधानसभा में टीपू सुल्तान की तस्वीर को लेकर भी खूब बरपा हंगामा
दिल्ली विधानसभा में टीपू सुल्तान की तस्वीर पर फिर विवाद छिड़ गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने पूर्व सरकार द्वारा तस्वीर लगाए जाने पर नाराजगी जताई। भाजपा ने टीपू सुल्तान की तुलना स्वतंत्रता सेनानियों से करने पर आपत्ति जताई है। इतिहासकारों के अनुसार टीपू सुल्तान ने हिंदुओं पर अत्याचार किए और जबरन धर्मांतरण कराया। उनका कहना है कि टीपू सुल्तान ने कभी देश हित की बात नहीं की।

वी के शुक्ला, नई दिल्ली। फांसी घर पर ही नहीं, टीपू सुल्तान पर भी घमासान हो रहा है। सत्तापक्ष के सदस्यों ने सदन में भी इस पर आपत्ति जताई है। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने भी पूर्व सरकार द्वारा टीपू सुल्तान की फोटो विधानसभा में लगाए जाने पर नाराजगी जताई है।
विधानसभा अध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि टीपू सुल्तान जैसे आक्रांताओं की भी विधानसभा में तस्वीर लगा दी गई, जो एक गलत काम विधानसभा के अंदर पूर्व की आप सरकार द्वारा किया गया। बहरहाल विधानसभा की गैलरी में यह तस्वीर इस समय मौजूद नहीं है।
विधानसभा के कर्मचारियों को भी नहीं मालूम कि गैलरी से फोटो कब हटाई गई है। टीपू सुल्तान का जन्म एक दिसंबर 1751 को हुआ और उसका निधन 4 मई 1799 को हुआ। वह दक्षिण भारत में स्थित मैसूर साम्राज्य का शासक था। उसे दक्षिण का औरंगजेब भी कहा जाता है।
दिल्ली विधानसभा परिसर में 27 जनवरी 2018 को विधानसभा की गैलरी में टीपू सुल्तान की तस्वीर लगाई गई थी। इस आर्ट गैलरी में देश के 70 स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर लगाई गई हैं। इस गैलरी का इस्तेमाल सिर्फ आने-जाने के लिए होता है, जो आर्ट गैलरी में की गई है।
भाजपा ने कहा है कि टीपू सुल्तान की बराबरी भगत सिंह व रानी लक्ष्मीबाई से नहीं की जा सकती है। बता दें कि विधानसभा में तात्या टोपे, लक्ष्मीबाई और नाना साहेब पेशवा से लेकर बिरसा मुंडा तक की तस्वीर लगाई गई है।
तस्वीर लगाए जाने के समस भाजपा विधायक ओपी शर्मा ने टीपू सुल्तान के चित्र को विधानसभा में लगाना जनता की भावनाओं को आहत करने वाला बताया था।
टीपू सुल्तान की तस्वीर पर फिर से विवाद उठने पर विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राम निवास गोयल का कहना है कि भाजपा हमेशा विवाद उत्पन्न करने की कोशिश करती है।
उन्होंने कहा कि मैं पहले भी बयान दे चुका हूं कि संविधान के पेज नंबर 144 पर भी टीपू सुल्तान की तस्वीर मौजूद है, भाजपा वाले पहले वहां से हटवाएं। गोयल ने कहा कि टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और अपना बलिदान दिया है।
टीपू सुल्तान को कुछ इतिहासकार महान बताते हैं अौर हम सब ने भी प्राथमिक शिक्षा की पुस्तकों में टीपू सुल्तान काे महान सम्राट के रूप में ही पढ़ा है।
यह बात सही भी है कि टीपू सुल्तान अंग्रेजों से लड़ते हुए मारा गया। मगर इस सुल्तान का एक दूसरा रूप भी है जो हमें नहीं पढ़ाया गया। इतिहास के जानकार डीयू के प्रोफेसर हरीश अराेड़ा कहते हैं कि हमारे इतिहास को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है।
टीपू सुूल्तान ने कभी देश हित की बात नहीं की और न ही वह महान था। वह अगर अंग्रेजों से लड़ा तो वह केवल अपने राज्य को बचाने के लिए लड़ा था। उसे राष्ट्रीय चेतना से कोई लेना देना नहीं था। यह बात भी सही है कि उसने हिन्दु़ओं पर बहुत अत्याचार किए, उनका मतांतरण कराया जिन्होंने नहीं किया, उन्हें बहुत दर्दनाक मौत दी गई।
वहीं डीयू के जानकी देवी मेमोरियल कालेज के इतिहास विभाग की डा अंकिता कुमार ने कहा कि मार्क विल्क्स (1810) के अनुसार टीपू सुल्तान ने 60,000 से ज्यादा हिंदुओं का जबरन धर्मांतरण कराया और 1791 में प्रतिष्ठित श्रृंगेरी मठ को लूटा।
उन्होंने कहा कि फारसी पत्रों और शिलालेखों से पता चलता है कि उसने काफिरों को नष्ट करने या उनका मतांतरण करने का लक्ष्य रखा। उसने मालाबार और तमिल क्षेत्रों में प्रमुख हिंदू मंदिरों को ध्वस्त कर दिया और उसे ब्राह्मण-हत्यारा की उपाधि मिली।
पुर्तगाली यात्री फ्रा पाओलिनो के द्वारा हिंदुओं और ईसाइयों के सामूहिक खतना और नरसंहार का वर्णन किया गया है। उसकी तलवार पर "अविश्वासियों के विनाश के लिए बिजली" अंकित था।
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