Delhi CAG Report: DTC को लेकर कैग रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य, पिछली सरकार की व्यवस्था पर उठे सवाल
डीटीसी को लेकर दिल्ली विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट में परिवहन को लेकर पिछली सरकार की पूरी व्यवस्था पर सवाल उठाए गए हैं। 2015-16 में 28263 करोड़ रुपये का घाटा 2021-22 में बढ़कर 65274 करोड़ रुपये हो गया। कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा से लेकर सत्तापक्ष के विधायक संजय गोयल आदि ने पिछली आप सरकार को जमकर घेरा।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। डीटीसी (दिल्ली परिवहन निगम) को लेकर सोमवार को दिल्ली विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट में परिवहन को लेकर पिछली सरकार की पूरी व्यवस्था पर ही सवाल उठाए गए हैं। यह तथ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है कि डीटीसी का जो घाटा 2015-16 में 28,263 करोड़ रुपये था, वह 2021-22 में बढ़कर 65,274 करोड़ रुपये हो गया।
इसी अवधि के दौरान 14,000 करोड़ रुपये से अधिक का परिचालन घाटा हुआ है। यहां तक कि जो परिचालक खर्च कम होना चाहिए था वह और बढ़ गया है। वह भी बढ़ कर दोगुना हो गया है। रिपाेर्ट पर सदन में चर्चा के दौरान कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा से लेकर सत्तापक्ष के विधायक संजय गोयल आदि ने पिछली आप सरकार को जमकर घेरा।
परिवहन के लिए कोई योजना तैयार नहीं
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बजट सत्र में 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए डीटीसी के कामकाज पर रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सार्वजनिक परिवहन को लेकर कोई व्यवसाय योजना तैयार नहीं की गई और न ही निगम ने अपने कामकाजी घाटे को कम करने के लिए राज्य सरकार के साथ कोई समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
जांच में यह भी पाया गया है कि निगम ने अन्य राज्य परिवहन उपक्रमों के मुकाबले अपने प्रदर्शन का आकलन करने के लिए बेंचमार्क निर्धारित नहीं किया। डीटीसी ने लाभप्रदता पर कोई अध्ययन नहीं किया, जबकि उसे लगातार घाटा हो रहा था।
2022-23 के दौरान केवल 300 इलेक्ट्रिक बसें ही खरीदीं
रिपोर्ट के अनुसार 2015 से 2023 के बीच डीटीसी के बेड़े में बसों की संख्या बढ़ने की जगह कम हो गईं। डीटीसी के पास 2015 में 4,344 बसें थीं जो 2023 में घटकर 3,937 रह गईं। सरकार से धन उपलब्ध होने के बावजूद यह 2021-22 और 2022-23 के दौरान केवल 300 इलेक्ट्रिक बसें ही खरीदीं।
इस मामले में कैग ने एक बड़ा सवाल यह भी उठाया है कि बेड़े में इलेक्ट्रिक बसें समय पर न देने पर के लिए ऑपरेटर पर जो 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाना था वह भी नहीं लगाया गया।
ऑपरेटर को लाभ पहुंचाया गया
यानी निगम को इस तरीके से हानि और आपरेटर को लाभ पहुंचाया गया। घटते बेड़े के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में डीटीसी में लोफ्लोर ओवरएज बसों की संख्या 0.13 प्रतिशत यानी पांच बसें थीं जो 2022 के दौरान बढ़कर 17.44 प्रतिशत यानी 656 बसें हो गई और 31 मार्च 2023 तक बढ़कर कुल बेड़े का 44.96 प्रतिशत 1,770 बसें हो गई।
डीटीसी की परिचालन दक्षता कम
रिपोर्ट के अनुसार अगर डीटीसी नई बसें खरीदने या जोड़ने के लिए ईमानदारी से प्रयास नहीं करती है, तो ओवरएज बसों का अनुपात बढ़ता रहेगा।जब बेड़े के उपयोग और वाहन उत्पादकता की बात आती है तो अखिल भारतीय औसत की तुलना में डीटीसी की परिचालन दक्षता कम है।
अपनी परिचालन लागत तक नहीं निकाल पाई
रिपोर्ट में यह भी गंभीर सवाल उठाया गया है कि 31 मार्च 2022 तक डीटीसी सभी रूटों पर बसें भी नहीं चला रही थी, लापरवाही का आलम यहां तक था कि कुल 814 रूटों में से 468 रूटों (57 प्रतिशत) पर ही बसों का परिचालन हाे रहा था और जिन रूटों पर बसें चल भी रही थीं उनमें से एक भी रूट पर डीटीसी मुनाफा तो दूर, अपनी परिचालन लागत तक नहीं निकाल पाई।
राजस्व में 668.60 करोड़ रुपये का नुकसान
2015 में जो परिचालन खर्च 213 रुपये प्रति किलोमीटर था वह 2022 में बढ़कर 457 रुपये हो गया। कुल मिलाकर 2015-22 के दौरान परिचालन 14,198.86 करोड़ रुपये का परिचालन घाटा हुआ। इस दौरान प्रति वर्ष 10,000 किलोमीटर परिचालन पर ब्रेकडाउन की दर 2.90 से 4.57 प्रतिशत रही, जिससे संभावित राजस्व में 668.60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
3,697 बसों में सीसीटीवी सिस्टम स्थापित
रिपोर्ट में उन परियोजनाओं पर भी प्रकाश डाला गया है जो लागू नहीं हो पाई। इसमें डीटीसी ने स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली (एएफसीएस) चरण-एक की परियोजना दिसंबर 2017 में शुरू की गई थी, लेकिन सिस्टम इंटीग्रेटर की अक्षमता के कारण यह मई 2020 से कार्यात्मक नहीं है। हालांकि मार्च 2021 में 3,697 बसों में सीसीटीवी सिस्टम स्थापित और चालू किया गया था।
दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-माडल ट्रांजिट सिस्टम लिमिटेड डीआईएमटीएस द्वारा संचालित क्लस्टर बसों का प्रदर्शन, निगम बसों के प्रदर्शन की तुलना में प्रति किलोमीटर परिचालन राजस्व को छोड़कर हर परिचालन पहलू में बेहतर था, भले ही दोनों एक ही शहर में और समान परिस्थितियों में चल रहे थे।
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