CAG Report में वायु प्रदूषण को लेकर बड़ा खुलासा, सीएम रेखा गुप्ता ने गिनाईं कई कमियां
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा प्रदूषण पर पेश की गई कैग रिपोर्ट में प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणन प्रणाली में कमियों वाहनों के उत्सर्जन भार पर डेटा की कमी और सार्वजनिक परिवहन बसों की कमी को शहर की जहरीली हवा के प्रमुख कारणों के रूप में चिह्नित किया गया। कैग रिपोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा वाहनों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के प्रयास में विभिन्न कमियों को इंगित किया है।

आईएएनएस, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा प्रदूषण पर पेश की गई कैग रिपोर्ट में प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणन प्रणाली में कमियों, वाहनों के उत्सर्जन भार पर डेटा की कमी और सार्वजनिक परिवहन बसों की कमी को शहर की जहरीली हवा के प्रमुख कारणों के रूप में चिह्नित किया गया।
रिपोर्ट सीएम गुप्ता ने पेश की
31 मार्च, 2021 को समाप्त वर्ष के लिए 'दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम और शमन के निष्पादन लेखापरीक्षा' पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट सीएम गुप्ता ने पेश की, जिससे पिछली आप सरकार के वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विफल प्रयासों पर चर्चा का मार्ग प्रशस्त हुआ।
वायु प्रदूषण विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा उठाए गए प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक था, जिसमें स्वच्छ वायु गुणवत्ता का वादा किया गया था और इस मुद्दे की अनदेखी करने के लिए पिछली अरविंद केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा गया था।
कैग रिपोर्ट ने किया ये इशारा
कैग रिपोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा वाहनों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के प्रयास में विभिन्न कमियों को इंगित किया है जैसे दिल्ली की सड़कों पर चलने वाले वाहनों के प्रकार और संख्या के बारे में जानकारी का अभाव और उनके उत्सर्जन भार का आकलन सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों (सीएएक्यूएमएस) द्वारा उत्पन्न आंकड़ों में अशुद्धियों के अलावा, कैग रिपोर्ट ने निजी वाहनों के उपयोग को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन बसों और अंतिम मील कनेक्टिविटी के विकल्पों की कमी की ओर भी इशारा किया है।
कैग रिपोर्ट ने पिछली सरकार पर "मोनोरेल और लाइट रेल ट्रांजिट" और "इलेक्ट्रॉनिक ट्रॉली बसों" जैसे कम प्रदूषणकारी विकल्पों को लागू नहीं करने का भी आरोप लगाया है। रिपोर्ट के निष्कर्ष इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि पिछले पांच वर्षों में 2,137 दिनों में से 1,195 दिनों (56 प्रतिशत) के लिए दिल्ली में वायु गुणवत्ता "खराब" से "गंभीर" के रूप में वर्गीकृत की गई थी, जिसका मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
दिल्ली की वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण
दिल्ली की वायु गुणवत्ता विभिन्न क्षेत्रों जैसे परिवहन, आवासीय, सॉल्वैंट्स, बिजली संयंत्रों और सड़क की धूल से प्रभावित होती है। सीएजी रिपोर्ट में परिवहन क्षेत्र द्वारा उत्पन्न प्रदूषण को शामिल किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वाहनों से होने वाला उत्सर्जन प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है, जिसकी उत्पत्ति दिल्ली में होती है, और इसलिए इसे दिल्ली सरकार द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
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