शराब बनी दिल्ली की दुश्मन! 2000 करोड़ रुपये का घोटाला; CAG रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे
दिल्ली विधानसभा में पेश सीएजी रिपोर्ट ने दिल्ली शराब नीति में कई गड़बड़ियों का खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई देसी शराब की कीमत तय करने में पारदर्शिता नहीं थी और दिल्लीवासियों को घटिया शराब दी जा रही थी। सीएजी रिपोर्ट में लगभग 2026.91 करोड़ रुपये के घोटाले का भी जिक्र है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के पटल पर आज दिल्ली शराब नीति को लेकर नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में आठ चैप्टर हैं, जो दिल्ली शराब नीति में अलग-अलग पहलुओं से हुई गड़बड़ियों को बताते हैं।
इन गड़बड़ियों में न सिर्फ पैसों की अनियमितता बल्कि नियमों और दिल्लीवालों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ का जिक्र है। आइए जानते हैं कि सीएजी की जिस रिपोर्ट के हवाले 2000 करोड़ रुपए के घोटाले की बात कही जा रही है, उसमें क्या कुछ खास है...
- दिल्ली शराब नीति 2021-22 को लेकर जो सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई है वह चार साल की है। इस रिपोर्ट में साल 2017-18 से 2021-22 तक दिल्ली में शराब का रेगुलेशन और सप्लाई कैसे हुआ उसका उल्लेख है।
- इस रिपोर्ट में इन चार सालों के दौरान भारत में बनी शराब और विदेशी शराब का दिल्ली में रेगुलेशन और सप्लाई कैसा रहा उसका जिक्र है।
- ऑडिट रिपोर्ट में यह पाया गया है कि 2017-21 के बीच में लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई।
- इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देसी शराब की प्राइस फिक्स करने में भी पारदर्षिता नहीं थी।
- सीएजी रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा ये भी है कि इन चार सालों के दौरान दिल्लीवालों की शराब की क्वालिटी भी खराब थी। यह उनके सेहत के साथ भी धोखाधड़ी है।
- सीएजी रिपोर्ट कहती है कि शराब से होने वाले आय में जो कमियां थीं उनकी समय से पहचान भी नहीं की गई।
- इसके साथ ही शराब माफिया पर नकेल कसने में ढिलाई बरती गई।
- सीएजी रिपोर्ट तो ये भी कहती है कि दिल्ली आबकारी नीति के नियमों का जो उल्लंघन हो रहा था, उसमें सबूत जुटाने से लेकर दोषियों को सजा दिलाने तक में ढील बरती गई।
- इस रिपोर्ट में नई आबकारी नीति (2021-22) की कमियां भी उजागर की गई हैं। जैसे- एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव को दरकिनार करना। इस कमेटी का गठन नई आबकारी नीति को बनाने हेतु सुझाव देने के लिए किया गया था।
- इस कमेटी के सुझाव के उलट कई काम किए गए जैसे- सरकार के स्वामित्व वाली थोक इकाई के बजाय निजी संस्थाओं को थोक लाइसेंस दिया गया।
- प्रति बोतल के हिसाब से लिए जाने वाले उत्पाद शुल्क की जगह लाइसेंस शुल्क में उत्पाद शुल्क की एडवांस वसूली।
- कमेटी के सुझाव के उलट आवेदक को अधिकतम दो दुकानों के बजाय 54 दुकानें तक अलॉट की गईं।
- इसके साथ ही सीएजी की रिपोर्ट नीति के डिजाइन और उसके क्रियान्यवयन में भी अनियमितता दर्शायी गई है।
- इस ऑडिट रिपोर्ट में लगभग 2026.91 करोड़ रुपये का घोटाला बताया गया है।
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